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Protest on dr. Payal Tadvi raipur chhattisgarh

*प्रेस विज्ञप्ति*

आज दिनांक 30 मई 2019 को रायपुर के आंबेडकर चौक में दलित मुक्ति मोर्चा एवं डी एम ए ऑनलाइन के तत्वधान में डॉक्टर पायल तड़वी के संस्थागत हत्या के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में एससी एसटी ओबीसी माइनॉरिटी के लगभग 100 लोग भाग लिए और इसके अंतर्गत आंबेडकर चौक में जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों के अंदर डॉक्टर पायल चौधरी की संस्थागत मृत्यु के सन्दर्भ में काफी गुस्सा था। इस संदर्भ में जिन लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए उनमें से प्रमुख डॉक्टर गोल्डी एम जॉर्ज, आरके जांगड़े, अखिलेश एडगर, संजीव खुदशाह, अंकिता अंधारे, अंजू मेश्राम, पुष्पलता महेश्वर, अनीता कुजूर, इत्यादि थे। 

इस दौरान अन्य कई दलित आदिवासी छात्रों की मृत्यु पर भी लोगों ने अपने रोष जताई। ऐसे ही अन्य कई परिस्थिति जो छत्तीसगढ़ में हो रही है। उदाहरण स्वरूप गणेश कोसले और एक अन्य आदिवासी छात्र का जो घासीदास यूनिवर्सिटी में भेदभाव के शिकार हुआ इन विषयों पर भी लोगों ने अपना गुस्सा जताया। डी०एम० एम० ने सरकार मांग की कि डॉ० पायल तड़वी के संस्थागत हत्यारों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए और शिक्षण संस्थानों से पूर्णता जाति भेद एवं जातिवाद को समाप्त किया जाए। लोगों ने यह भी मांग की कि देश को जाति और धर्म के आधार पर ना चलाया जाये बल्कि देश को संविधान के आदेश पर चलाए जाये। 

अंत में सभी लोगों ने मिलकर पायल को डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के मूर्ति के सामने मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस संघर्ष को आगे ले जाने की बात सभी ने कही। 

प्याज पॉकेट में रखने से लू लगता है या नहीं

प्याज पॉकेट में रखने से लूं लगता है या नहीं 
डॉक्टर बनसोडे
(मध्य प्रदेश की सरकार ने एक आदेश जारी किया कि इलेक्शन ड्यूटी में जाने वाले अधिकारी कर्मचारियों को लू से बचने के लिए प्याज मुहैया कराया जाए। ज्यादातर लोग मानते हैं कि गर्मी के दिनों में प्याज पॉकेट में रखने पर लू नहीं लगता इस पर डॉक्टर बनसोडे जी एक लेख प्रस्तुत कर रहे हैं पढ़े यह जरूरी आलेख।)

यह भी एक तरह का रूढ़िवादी अंधविश्वास है कि गर्मी के दिनों में बाहर निकलने से लू लग जाती है । यदि बाहर निकलना जरूरी है तो एक प्याज अपने पॉकेट में रखने से लू :- यानी सूर्य की गर्मी को प्याज खींच लेती है तथा व्यक्ति को लू नही लगती है ।

दरअसल जो मजदूर या किसान धूप में खेतों और सड़कों पर काम करते थे , उनका भोजन सुखी रोटी , कोई भी सब्जी , या सब्जी ना हो तो नमक तथा प्याज ही उनका भोजन था । इसके दम पर वे भारी दोपहर की गर्मी हो , ठंड हो या तेज बरसात सभी परिस्थिति में अपना जीवन निर्वाह करते थे  ।
यदि हम देखें तो सुखी रोटी को प्याज़ खाने की वजह से खाने को गटकने के लिये हर निवाले पर पानी पीते जायेगा । गर्मी में वैसे भी अधिक से अधिक पानी की जरूरत शरीर को होती जो गरीब लोग अच्छी तरह जानते हैं । वे तो नदी , तालाब या खेत के पानी को भी पीकर पचा लेते हैं । हाँ जब कभी खराब पानी से कोई इंफेक्शन हो भी गया , तो उनकी मृत्यु का कोई गम भी नही करता है । खराब पानी से हम सब जानते ही हैं कि अनेक प्रकार की बीमारीं हो ही जाती है ।
जैसे पेट में कई प्रकार के परजीवी :- अमीबा , प्रोटोज़ोआ , हेलमिन्थिस इत्यादि , बैक्टीरिया तथा वाईरस से होने वाली बीमारियाँ जैसे पीलिया इत्यादि ।
इसलिये बिना पानी को छाने कोई भी पानी वैसे ही पीना हानिकारक है होता है ।

अब हमारे शहरी भाई और साथ ही गांव वाले भाई लोग भी बोतल बन्द पानी लेकर चलते हैं । अब जगह जगह फ्रिज का ठंडा पानी भी उपलब्ध हो जाता है ।इसलिये गर्मी में भरपूर पानी के पीने से ही लू (Heat Stroke)  से बचा जा सकता है ।

प्याज़ खाना भी सलाद का हिस्सा है । भोजन में नियमित खाने से शरीर को लाभ ही मिलेगा ।

लेकिन रूढ़िवादी परम्परागत विचारों के लोगों को लगता है कि प्याज को अपने जेब (पॉकेट) में या साथ में रखने से लू नही लगती है ।
*यह भी एक अंधविश्वास है ।*

:-डॉ के बी बंसोड़े।
🙏🏻