दलित विमर्श : दलित समाज की रचनात्मक चुनौती -- रमेश चंद मीणा
पिछड़ा वर्ग की सामाजिक स्थिति का विश्लेषण--रमेश प्रजापति
पुस्तक का नाम आधुनिक भारत में पिछड़ा वर्ग
(पूर्वाग्रह, मिथक एवं वास्तविकताएं)
लेखक -संजीव खुदशाह
ISBN -97881899378
मूल्य -200.00 रू.
संस्करण -2010 पृष्ठ-142
प्रकाशक - शिल्पायन 10295, लेन नं.1
वैस्ट गोरखपार्क, शाहदरा,
दिल्ली-110032 फोन-011-22821174
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रमेश प्रजापति
डी-८, डी.डी.ए. कालोनी
न्यू जाफराबाद, शाहदरा,
दिल्ली-११००३२
मोबाईल-०९८९१५९२६२५
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भारतीय जाति व्यवस्था पर एक विमर्श
पुस्तक का नाम आधुनिक भारत में पिछड़ा वर्ग
(पूर्वाग्रह, मिथक एवं वास्तविकताएं)
लेखक -संजीव खुदशाह
ISBN -९७८८१८९९३७८
मूल्य - २००.०० रू.
संस्करण - २०१० पृष्ठ-१४२
प्रकाशक - शिल्पायन १०२९५, लेन नं.१
वैस्ट गोरखपार्क, शाहदरा,
दिल्ली -११००३२ फोन-०११-२२८२११७४
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पुस्तक 'आधुनिक भारत में पिछड़ा वर्ग` का लोकार्पण
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री एवं युद्धरत आम आदमी की सम्पादक सुश्री रमणिका गुप्ता ने अपने विचार रखते हुए कहा कि ये सुखद बात है कि आधुनिक भारत में पिछड़े वर्ग की जांच पड़ताल लेखक संजीव खुदशाह ने अंबेडकरवादी दृष्टिकोण से की है। विडंबना ये है कि हमारा पढ़ा-लिखा समाज भी आज तक अपनी जाति नहीं छोड़ पाया है, तो हम अनपढ़ समाज से इसकी उम्मीद कैसे कर सकते हैं, जो सदियों से जाति की गुलामी को ढोता आ रहा है। समाजशास्त्रा के इस विषय पर ये पुस्तक लिखकर श्री संजीव खुदशाह ने गंभीर बहस का एक अच्छा मौका दिया है।
कार्यक्रम के आरंभ में पुस्तक पर समीक्षात्मक आलेख का पाठ श्री रमेश प्रजापति ने किया। तदोपरांत वरिष्ठ आलोचक एवं समाज सेवी श्री मस्तराम कपूर ने अपने वक्तव्य में कहा पिछड़े वर्ग की समस्या पर चर्चा करने से पूर्व पिछड़ा वर्ग को परिभाषित करना आवश्यक है। जातीय आधार पर जनगणना कराने से इनकी वास्तविक स्थिति का ज्ञान हो सकता है, लेकिन नेहरू ने इसे होने नहीं दिया। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ आलोचक श्री मैनेजर पाण्डेय ने अपने वक्तव्य में कहा जातिवाद देश के अतीत से भी जुड़ा है और देश के भविष्य से भी। उन्होंने लेखक से तथा उपस्थित सभी साहित्यकारों से आह्न किया कि जाति-व्यवस्था का केवल विश्लेषण न कर वे जाति व्यवस्था के विरोध में हुए आंदोलनों का जिक्र करते हुए, जाति-व्यवस्था के विरोध में लिखें। पुस्तक के लेखक संजीव खुदशाह ने अपने लेखकीय वक्तव्य में कहा कि ऐसा नहीं कि पिछड़े वर्ग के पास फिलोस्फर नहीं थे। फुले एवं पेरियार पिछड़ी जाति के लेखक थे लेकिन पिछड़ों ने उन्हें न मानकर दलितों ने माना। कार्यक्रम का संचालन रमणिका फाउंडेशन के मीडिया प्रभारी श्री सुधीर सागर द्वारा किया गया।
प्रस्तुति : सुधीर सागर
मीडिया प्रभारी, रमणिका फाउंडेशन
ए-२२१, ग्राउंड फ्लोर, डिफेंस कॉलोनी, नई दिल्ली-२४
धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस एवं इस ग्रुप के शानदार दो वर्ष पूरे करने पर भी बधाई स्वीकार करें।
माननीय सदस्यगण,
दलित मुव्हमेंट ऐसोसियेशन
आप को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस एवं िदपावली की हार्दिक शुभकामनाएं साथ ही इस ग्रुप के शानदार दो वर्ष पूरे करने पर भी बधाई स्वीकार करें।
आज दलित मुव्हमेंट ऐसोसियेशन ग्रुप भारत का सबसे लोकप्रिय दलित एवं मानव अधिकार ग्रुप बन कर उभरा है। जिसके करीब २५०० सदस्य है तथा लगभग २५० विषयों पर खुल कर चर्चा हुई है अथवा लेख, कविताएं, कहानियां एवं पुस्तक समीक्षा प्रेषित की गई है। यह सब इसके सक्रिय सदस्यो की बदौलत संभव हो सका। हम सभी सदस्यों के शुक्रगुजार है तथा आशा करते है भविष्य में भी इस प्रकार सहयोग बनाये रखेगें।
हम इस ग्रुप के दो वर्ष पूरा करने के उपलक्ष्य में आपसे सलाह शिकायत एवं नये प्रस्ताव आमंत्रित करते है। ताकि इसमें आवश्यक सुधार किया जा सके।
संजीव खुदशाह, गोल्डी एम जॉर्ज, अमित गोयल, विरेंद जाटव
माडरेटर एवं मेनेजर्स
लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं कि भुमिका का संवर्धन
लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिये महिलाओं कि भुमिका का संवर्धन
"लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिये महिलओं कि भुमिका का संवर्धन" विषय पर 8-10 जुलाई 2009 के बीच एक कार्याक्रम होटल आदित्य, रायपुर मे संपन्न हुआ. इस कार्याक्रम मे छत्तिसगढ़ के विभिन्न जिलों से लगभग 60 महिलाओं ने भाग लिया. यह कर्याक्रम यू.एन. डेफ के सहयोग से सेंटर फॉर सोशल रिसर्च, नई दिल्ली और सोशल इंस्टिट्यूट फॉर रिसर्च, स्टडी एंड एक्शन, छत्तिसगढ़ के संयुक्त तत्वधान मे हुआ.
इस कार्याक्रम मे राष्टीय स्तर के राजनीतिक दल जैसे कॉग्रेस, भजपा, बसपा के अलावा आरपीआई, राजद, लोजपा, ससैद के प्रदेश स्तर के महिला पदाधिकारियों ने भाग लिया. इसके अलावा कई निर्दलीय महिला राजनीतिक ने भी इस कार्याक्रम मे हिस्सा लिया. बैठक मे राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विभा राव ने भी भाग लिया. मुख्य वक्ताओं मे शोभा यादव, हेमलता साहु, सरित गजिबिये, चित्रलेखा साहु, रीति देशलहरा, राजिम तांडी, सुधा कसार, ब्रिन्दा अजाद, विधादेवी साहु, ललित सुरजन, जयमाला मंडराहा, अनिता रावटे और अनिता सुर्यवंशी थे. बैठक का संचालन अंजु दुबे और दुर्गा झा ने किया.
कार्याक्रम के पहला सत्र मे "लोकत्रांत्रिक प्रक्रिया मे महिलाओं की स्थिति" विषय पर लम्बी चर्चा हुई. सभी वक्ताओं ने लोकतंत्रिक मे पुरुषप्रधान सामाजिक व्यवस्था का वर्चस्वा एवं महिलाओं की दुरदशा को दर्शाया. दूसरे दिन के सत्र मे "वर्तमान परिपेक्ष मे महिला आरक्षण का सवाल" विषय पर वक्ताओं ने अपनी राय रखी. कई वक्ताओं ने 50% आरक्षण पर जोर दिया और दलित-आदिवासी महिलाओं के लिये विशेष स्थान की बात भी रखी. इसके लिये लंबी लडाई लडने पर जोर दिया. "दलगत राजनीति मे महिलाऐं" विषय पर सहभागियों ने मंच, माइक, मनि, मसिल, माफिया, माला, मीडिया पॉवर का उपयोग कर पुरुष दलगत राजनीति को कब्जा किये हुऐ हैं. ऐसे संदर्भ मे आत्मविश्वास, आत्मसम्मान और आत्मबल की आवश्यक्ता है. "मीडिया, राजनीति और महिला" विषय पर ललित सुरजन ने कहा कि, जहॉ स्वच्छ मीडिया नही होगी, वहॉ का लोकतंत्र भी कुलीनो के हाथो मे होगा. उन्होने प्रतिभागियों को मास मीडिया के साथ-साथ परमपरागत मीडिया के सदुपयोग कर जनोनमुखी राजनीति की सलाह दी. तीसरे दिन "अपनी समझ – अपनी बात" सत्र मे प्रतिभागियों ने अपने- अपने राजनीतिक अनुभव को सामने रखा. महिलाओं ने ऐसे कई कटु अनुभव सामने रखे जिसका विवरण करना असंभव है. बैठक के अंतिम सत्र मे महिलओ ने आनेवाले समय के लिये कार्यायोजन भी तैयार की है.