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Short information about cancer dr. Bansode


 केंसर के बारे में संक्षिप्त जानकारी
                                     
( लेखक :- डॉ के बी बंसोडे )
                 
प्रश्न 01 :-  केंसर क्या है ?
सामान्यतः हमारे शरीर के सभी अंगों में कोशिकाएं अपना निर्धारित कार्य करती रहतीं हैं. वे अपना जीवनकाल पूरा करती है तथा नई कोशिकाओं को अपने स्थान पर स्थापित करती रहती है. लेकिन केंसर की बीमारी में कोशिका का कार्य गड़बड़ हो जाता है.







केंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमे हमारे शरीर के किसी अंग की कोई एक कोशिका में अचानक ही असामान्य विकास होने लगता है . धीरे धीरे यह कोशिका अन्य दूसरी कोशिकाओं को भी प्रभावित करके दूसरी आसपास की सभी सामान्य कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाने लगती है .यह इकलौती कोशिका जो अपना सामान्य निर्धारित कार्य छोड़कर, वह अपना खुद का विकास तेज गति से करती है . इस समय वह अपने आसपास की सभी दूसरी सामान्य कोशिकाओं के विकास को भी बाधित करती है , तथा उनके कार्यों को भी प्रभावित करके उन्हें नष्ट करती है . इसके कारण असामान्य कोशिकाओं का एक समूह निर्मित हो जाता है , तथा वह एक गांठ का रूप ले लेता है ..इस समय  शरीर का सामान्य क्रियाकलाप गड़बड़ा जाता है . तथा विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी शरीर में दिखाई देती है . इसे ही केंसर कहते हैं.





प्रश्न 02 :- शरीर में कोई भी गांठ केंसर ही होती है ?
आमतौर पर जो भी गांठ शरीर के किसी भी हिस्से में दिखाई देती है , वह जरुरी तौर पर केंसर की ही गांठ हो यह कहना सही नहीं है . गांठ दो प्रकार की होती हैं . (1) सामान्य गांठ जिसे चिकित्सीय भाषा में बेनाईन ट्यूमर ( साधारण गांठ) कहते हैं . जो आमतौर पर शरीर को कोई अधिक नुकसान नहीं पहुँचाती है .
 (2) दुसरे तरह की असामान्य गांठ जिसे चिकित्सीय भाषा में मेलिग्नेन्ट या कार्सिनोजेनिक ट्यूमर (केंसर की गांठ ) कहते हैं . यह अत्यधिक घातक होती है .
प्रश्न 03 :- केंसर कितने प्रकार के होते हैं ?
सारकोमा, मेलोनोमा, लिम्फोमा एवम लयूकेमिया .यह चार प्रमुख प्रकार के केंसर शरीर में होते हैं
सारकोमा :- हड्डियों , मांस पेशियों , लीवर ,पेन्क्रियास जैसे सभी ग्रंथियों का
          केंसर होता है .
मेलोनोमा :- यह शरीर की त्वचा का केंसर होता है
लिम्फोमा :-  लिम्फ ग्रंथि का केंसर होता है .
लयूकेमिया:-  यह रक्त का केंसर होता है . यह दुसरे अन्य प्रकार के केंसर की तरह गांठ का निर्माण नहीं होता है बल्कि इसमें रक्त कण अन्य प्रकार की दुसरे रक्त कणों को नष्ट करता है तथा उनके सामान्य विकास में बाधक होता है .


प्रश्न 04 :-  केंसर कहाँ कहाँ होता है ?
           केंसर शरीर के किसी भी अंग में या सभी अंदरूनी या बाह्य अंगों में कहीं भी हो सकता है .






प्रश्न 05 :- महिलाओं में कौन कौन से केंसर प्रमुख होते हैं ?
          वैसे तो महिलाओं को भी पुरुषों की तरह सभी प्रकार के केंसर होते हैं लेकिन महिलाओं में ज्यादातर स्तन के केंसर तथा बच्चे दानी के केंसर भी होते हैं .इसके आलावा मुख के केंसर , फेफड़े का केंसर एवम् पेट के आमाशय का केंसर भी अधिकतम होता है .

 प्रश्न 06 :- पुरुषों में कौन कौन से केंसर होते हैं ?
         पुरुषों में ओंठ तथा मुख के केंसर, फेफड़े का केंसर, आमाशय का केंसर आहार नली का केंसर, गुदा द्वार का केंसर तथा प्रोस्टेट ग्रंथि का केंसर अधिकतम होता है .

प्रश्न 07 :- क्या केंसर की बीमारी छूत जैसी बीमारी होती है ?
         नहीं , यह छूत जैसी बीमारी नहीं है . यह दरअसल एक तरह की जेनेटिक बीमारी की तरह ही होती है . यदि परिवार के किसी भी सदस्य को केंसर की बीमारी होती है , तो मरीज के साथ किसी भी प्रकार की दुरी रखना या उसके साथ किसी भी तरह का भेदभाव , अलगाव या  दुर्व्यवहार करना सही नहीं है .मरीज के साथ एक ही कमरे में रहने से , साथ उठने – बैठने , खाने –पीने, एक बिस्तर पर सोने से या एक ही थाली में खाना खाने , एक ही गिलास से पानी पीने से केंसर की बीमारी दुसरे सामान्य व्यक्ति को नहीं हो जाती है लेकिन केंसर के मरीज को स्वच्छता पूर्वक रखना , उसके खान-पान पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है केंसर के मरीज को  जब शारीरिक तकलीफ होती है , तो उसके साथ बहुंत ही संवेदना पूर्वक सहानुभूति के साथ अपनत्व भरा व्यवहार करने की जरूरत होती है . क्योकि केंसर के मरीज की बीमारी के कारण उसकी भावनात्मक तौर पर उसके जीवित रहने की आशा  कमजोर हो जाती है .यदि केंसर के मरीज को हम पूरी सहानुभूति के साथ बीमारी से  लड़ने की हिम्मत देते हैं, तो उसकी जीवन जीने की उम्मीद बढ़ जाती है तथा इस तरह केंसर का मरीज बीमारी को भी हरा सकता है .

प्रश्न 08 :- केंसर कैसे होता है ?
        प्रमुख रूप से कोशिका में जेनेटिक परिवर्तन से शरीर की कोशिका के डी एन ए में बदलाव हो जाता है.  जिसकी वजह से कोई सामान्य कोशिका केंसर की कोशिका में बदल जाती है जब हम बीमारी के लिये जिम्मेदार कारणों की पड़ताल करते हैं , तो हमें निम्नलिखित अनेक प्रकार के कारणों को जानना तथा उनके बारे में विचार करना आवश्यक हो जाता है . 
(a)           जैसे सूर्य की किरणों से उत्पन्न अल्ट्रावाईलेट रेडीऐशन
(b)  अनेक प्रकार के रेडिओऐक्टिव पदार्थ द्वारा उत्सर्जित रेडीऐशन ,
    (c) रासायनिक पदार्थ जो तम्बाखू ,गुटका ,तम्बाखू से निर्मित या बिना तम्बाखू वाले पौऊच, गुड़ाखू , बीडी या सिगरेट के द्वारा शरीर में पहुँचते हैं . 
     (d)  अनियमित जीवन शैली तथा भोजन में अत्यधिक तेल घी मिर्च और मसालों के इस्तेमाल से भी केंसर होने की सम्भावना होती है .
    (e)  महिलाओं में बच्चे दानी के केंसर, पुरुषों के मल द्वार , पुरुषों के लिंग का केंसर के लिए “ हयूमन पैपिलोमा वाइरस” जिम्मेदार माना जाता है..अन्य दुसरे प्रकार के केंसर के लिये लगभग 15 प्रतिशत केंसर का कारण हिपेटाइटीस बी वाइरस , हिपेटाइटीस सी वाइरस , एड्स बीमारी ,हेलिकोबेक्टर पैलोराई नामक जीवाणुओं के कारण भी केंसर होने की सम्भावना होती है .

     (f)   जीवनशैली में गड़बड़ी के कारण नियमित तौर पर शारीरिक व्यायाम या कसरत के आभाव में अधिक मोटापा होना भी अनेक प्रकार के केंसर का कारण माना जाता हैं . शरीर के व्यायाम के आभाव में भोजन नली , आहारनाली, आमाशय इत्यादि के केंसर होना सामान्य है . नियमित व्यायाम के अभाव में लगातार कब्ज की शिकायत से बड़ी आँत के केंसर से लेकर रेक्टम ( गुदा द्वार ) तक के केंसर की सम्भावना होती है .
        (g)    कृषि कार्यों में नियमित तौर पर विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल किये जाने वाले रासायनिक खाद , कीटाणु नाशक पदार्थ , कीट पतंगों को दूर रखने के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी प्रकार के रसायन  भी हमारे शरीर मे केंसर पैदा करने वाले तत्व हैं .
 (h)     मच्छर मक्खी को दूर भगाने वाले रसायन भी केंसर के लिए जिम्मेदार हैं .
 (i)    नदी के पानी में विभिन्न फेक्टरियों द्वारा फेक्टरियों के विभिन्न प्रकार के अनुपयोगी रसायन को बहा देने से नदी का पानी भी प्रदूषित हो रहा है इस  प्रदूषित पानी के नियमित इस्तेमाल से समस्त प्रकार के जिव जंतु भी अनेक प्रकार की बीमारी से बीमार हो जाते हैं , उनमे से एक बीमारी केंसर भी है .
  (j)    शहरों में फेक्टरियों (कारखानों) के द्वारा विभिन्न प्रकार का वायु प्रदुषण भी किया जाता है . धुल , धुंवा, तथा विभिन्न प्रकार की गैस जो कारखानों की बड़ी बड़ी चिमनियों से निकालकर वायुमंडल की हवा को प्रदूषित करने से वायु प्रदूषित होती है . यह वायु प्रदुषण भी विभिन्न प्रकार की बिमारियों के साथ ही केंसर के लिए भी जिम्मेदार है .
   (k)   शराब के नियमित इस्तेमाल से आहार नली, लीवर, एवम स्वरतंत्र के केंसर की सम्भावना होती है .
   (l)  माता पिता के जींस के द्वारा भी केंसर होने की संभावना होती है.


प्रश्न 09 :- केंसर की बीमारी के प्रारम्भिक लक्षण क्या हैं ?
(1) मुँह के भीतर ओठों , जीभ ,मसूढ़ों या गाल के अंदर यदि किसी भी प्रकार के छाले हों ,जो लगातार कई दिनों से ठीक नहीं हो रहे हों .
(2) शरीर के किसी भी हिस्से में हुई गांठ . जो की उस जगह पहले कभी नहीं हुई थी . वह  यदि केंसर की गांठ होगी तो उसकी वृद्धि अधिक तेज गति से होती है . गांठ में दर्द भी हो सकता है ,या कभी कोई गांठ बिना दर्द के भी हो सकती है .जैसे की किसी भी महिला के स्तन में गांठ होने पर भी दर्द नहीं होता है . इसलिये शरीर के किसी भी हिस्से या अंग में बनी कोई भी गांठ की जानकारी मिलते ही जाँच करवाना आवश्यक है .
(3) लगातार बदहजमी हो या भोजन के पाचन की समस्या हो , कब्ज की शिकायत हो तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना अच्छा होता है .
(4) शरीर के किसी भी हिस्से से अचानक खून बहना भी केंसर का लक्षण हो सकता हैं .खांसी के साथ खून निकलना , उल्टी होने पर पेट से खून निकलना भी केंसर का एक कारण  हो सकता  है .पेशाब नली से खून निकलना , मल द्वार से टट्टी के साथ खून निकलना , बच्चेदानी से माहवारी के आलावा भी अचानक खून निकलना या सफ़ेद पानी का लगातार निकलना इत्यादी भी केंसर का कारण हो सकता है .
(5) खांसी का बिना रुके लगातार होना या कभी आवाज में भारीपन होना स्वरनालिका के केंसर का कारण भी हो सकता है .
(6) अचानक से शरीर का वजन गिर जाना भी किसी  छिपे हुवे केंसर का कारण हो सकता है .

प्रश्न 10  :- सामान्यतः हमारे देश में कितने प्रकार के केंसर होते हैं ?  
विश्व में लगभग 100 विभिन्न  प्रकार के केंसर होते हैं. यह हमारे शरीर के किसी भी हिस्से में होते हैं . हमारे देश में सामान्यतः 51 प्रकार के केंसर होते हैं महिलाओं में :- गर्भाशय के केंसर तथा स्तन के केंसर अधिक  होते हैं.पुरुषों  में  :- प्रोस्टेट का केंसर होता है , जो महिलाओं में नहीं होता , क्योकि यह ग्रंथि महिलाओं के शरीर में प्राकृतिक तौर पर ही नहीं होती है .
  महिलाओं तथा पुरुषों में :- बाकि सभी प्रकार के केंसर दोनों में होते हैं.  

  प्रश्न 11:- केंसर बीमारी की सांख्यिकी की जानकारी क्या है ?

         हमारे देश में भारत सरकार के मंत्रालय :- “स्वास्थ्य एवम् परिवार कल्याण विभाग “ द्वारा एक विभाग “Indian Council of Medical                  Resaerch “ का गठन किया गया है . जिसका कार्य देश में विभिन्न प्रकार के रिसर्च करना है , जिसमें जनता के स्वास्थ्य समस्या ,उनकी भौगोलिक स्थिथि, वहां के पर्यावरण , जनसख्या के अनुपात इत्यादि को जानना समझाना तथा उसके लिए विभिन्न कार्यक्रम भी तैयार  है . ICMR के अनुसार भारत में लगभग 14 लाख केंसर के मरीज हैं सन 2035 तक यह संख्या 38 लाख तक बढ़ जायेगी. लगभग 7 लाख व्यक्तियों की मृत्यु , प्रतिवर्ष केंसर की बीमारी से हो जाती है .हमारे देश में विभिन्न प्रकार की बिमारियों से होने वाली मृत्यु में  सबसे अधिक मृत्यु दर में, केंसर से मृत्यु की दर दुसरे नम्बर पर है, पहले नम्बर पर  ह्रदय रोग से मृत्यु होने वाले लोगो की संख्या है .केंसर की बीमारी के उपचार में होने वाला खर्च सबसे अधिक होता है . एक अध्ययन से यह जानकारी मिली है कि यदि सरकार द्वारा , किसी स्वयंसेवी संस्था द्वारा , या गैरसरकारी संस्था द्वारा भी मरीज की केंसर की बीमारी का खर्च भले ही वह वहन करे तो भी , इसके बावजूद  मरीज के परिवार का ही व्यक्तिगत  खर्च जो अलग से किया जाता है ,वह बीमारी के  उपचार के कुल खर्च का एक तिहाई खर्च उसकी जेब से निकल जाता है . हार्ट की बीमारी का जो अधिकतम खर्च होता है उससे दुगुना खर्च केंसर की बीमारी के उपचार में लग जाता है .किसी साधारण बीमारी की तुलना में लगभग 160 प्रतिशत खर्च केंसर की बीमारी के उपचार में हो जाता है .NPCDCS यानि “National Programmes for Prevention  of Cancer, Diabetes,  Cardiovascular disease and Stroke” के द्वारा यह जानकारी मिलती है कि भारत में सामान्तः स्तन केंसर,बच्चेदानी का केंसर तथा मुख का केंसर बाकि अन्य प्रकार के केंसर की तुलना में लगभग 34% है .ये तीनो प्रकार के केंसर जिनकी पहचान बीमारी के प्राथमिक चरण में ही की जा सकती है , तथा यदि इसका उपचार जल्द से जल्द शुरू कर दिया जाये ,तो बीमारी से मृत्यु होने की संभावना काफी कम हो जाती है . केंसर की बीमारी के बाद जो व्यक्ति 5 वर्ष या उससे अधिक जीवित रह सकते हैं . उनमे  60.2% मुख के केंसर वाले मरीज , 76.3 % स्तन केंसर के मरीज तथा 73.2% गर्भाशय के केंसर वाले मरीज जीवित रहते हैं .

 GLOBOCAN 2012 के अनुसार पुरे विश्व में जितने भी प्रकार के केंसर होते हैं , उसके 7.2 % केंसर के  मरीज भारत में हैं . भारत में केंसर के मरीजों की मृत्यु दर भी विश्व के अन्य देशों की तुलना में जो की बहुँत अधिक यानि  8.3% है.  क्योकि भारत में अज्ञानता के कारण केंसर  की बीमारी की पहचान देर से हो पाती है , तथा अशिक्षा के कारण बीमारी को अधिक महत्व नहीं दिया जाता है तथा गरीबी के कारण उपचार पूरी तरह नहीं करवाया जाता है .
प्रश्न 12 :- केंसर की जाँच के लिये कौन कौन सी पद्धति अपनाई जाती है ?
          केंसर की जाँच के लिए खून की जाँच , पेशाब की जाँच , सोनोग्राफी , एक्स रे , ऍम आर आई तथा गांठ की कोशिका को एक सुई के द्वारा निकालकर उसकी सूक्ष्म दर्शी यन्त्र से जाँच जिसे Biopasy (बायोप्सी) कहते हैं , महिलाओं के गर्भाशय में केंसर की जाँच के लिए “ Pep Smear” नामक शुरुवाती जाँच की जाती है . इस जाँच में महिला के जननांग से स्रावित होने वाले Vaginal Fluid ( वेजाइनल फ्लूइड ) की जाँच की जाती है . महिलाओं में होने वाले स्तन केंसर की जाँच के लिए मेमोग्राफी नामक जाँच की जाती है . आजकल एक नई मशीन के द्वारा भी पूरे शरीर की जाँच “ PET Scan “ (Positron Emission Tomography scan) से की जाती है . इस मशीन से पुरे शरीर का अध्ययन करके केंसर के फैलाव या उसके विस्तार या को देखा जा सकता है कि केंसर अपने मूल स्थान से आगे किस किस अंग तक फ़ैल चूका है . इन सब जाँच में जब  केंसर की बीमारी की पुष्टि हो जाती है तब उसके बाद ही केंसर का  उपचार निर्धारित किया जाता है . केंसर का उपचार करने वाले विशेषग्य विभिन्न प्रकार के जाँच के पश्चात् ही यह निर्धारित करते हैं कि किसी भी मरीज के केंसर अभी किस स्टेज में हैं . केंसर की बीमारी का उपचार उसके स्टेज (चरण ) द्वारा ही निर्धारित होता है . केंसर की बीमारी के स्टेज के निर्धारण के  लिए गांठ की साइज़ , उसके शरीर के अन्य अंगों में प्रसारण या विस्तार  की स्तिथि इत्यादि के अध्ययन के पश्चात् ही उसके उपचार को निश्चित किया जाता है . केंसर जब शरीर के किसी एक अंग में शुरू होता है , तो वह रक्त तथा लिम्फ ग्रंथि के द्वारा भी शरीर के दुसरे अंग तक पहुँच जाता है . इसलिए उपचार के पहले ही इस सब  का परिक्षण विस्तारपूर्वक किया जाता है . 

प्रश्न 13 :- केंसर का उपचार कैसे होता है ?
       केंसर का मुख्यतः तीन प्रकार से उपचार किया जाता है . जिसमें सर्जरी रेडियो थेरेपी तथा कीमोथेरेपी प्रमुख है . इसके आलावा विभिन्न अन्य उपचार की भी जानकारी निम्नलिखित है .
(a)  सर्जरी :- सबसे पहले गांठ के अधिकतम हिस्से को जो कि केंसर ग्रस्त है उसे ओपरेशन करके निकाल दिया जाता है . ताकि वह और अधिक दूसरी कोशिकाओं को रोग् ग्रस्त ना कर सके . इसके बाद आगे का उपचार जिसे रेडियोथेरेपी या किमोथेरेपी दोनों या दोनों में से कोई एक दिया जाता है .
(b) रेडियोथेरेपी :- इस उपचार में कोबाल्ट मशीन के द्वारा निर्धारित किरणों को शरीर के अंदर केसर की कोशिकाओं तक पहुँचाया जाता है . इस प्रकार  केंसर के गांठ की कोशिकाओं को  नष्ट या निष्क्रिय किया जाता है . जिसे बोलचाल की भाषा में सिंकाई करना कहते हैं . जो चिकित्सक रेडियोथेरेपी के विशेषग्य होते हैं , वे निर्धारित करते हैं कि केंसर की सिकाई कब कब की जायेगी . आम तौर पर सप्ताह में दो या तीन दिन सिकाई की जाती है .  आजकल रेडियो थेरेपी की नई तकनीक भी आ गई है जिसे ब्रेक्की थेरेपी भी कहते हैं , जिसमे मरीज की केंसर कोशिका को सीधे अंदरूनी सिकाई की जाती है .इसके कारण आजकल मरीर को रेडियो थेरेपी से होने वाले प्रतिकूल प्रभाव बहुंत कम हो गए हैं .
(c)  लेसर थेरेपी :-  यह भी रेडियो थेरेपी का ही एक प्रकार है . इस थेरेपी में कसेर की गांठ को तथा मूल कोशिका को टारगेट करके उसको लेसर किरणों से नष्ट किया जाता है .
(d) कीमोथेरेपी:- इस थेरेपी में मरीज को मुँह से खाने वाली दवा या इन्जेक्शन के द्वारा दवाईयां दी जाती है . यह दवाईयां मरीज के केंसर कोशिका को अन्दुरुनी अंग में फैलने से रोकती हैं .कीमोथेरेपी में भी नई नई दवाईयां आजकल उपलब्ध है जिससे दवाईयों केप्रतिकूल प्रभाव काफी कम हो जाते हैं
(e)  इम्मुनोथेरेपी :- इस उपचार में मरीज को दवाईयां दी जाती है , जिससे उसके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके . यह बाकि अन्य थेरेपी के आलावा या साथ साथ भी दी जाती है .
(f)   हारमोन थेरेपी :- कुछ विशेष प्रकार के केंसर जैसे प्रोस्टेट केंसर तथा स्तन केंसर के मरीजों को हारमोन थेरेपी भी दी जाती है .
(g)  बोनमेरो ट्रांसप्लांट :- ब्लड केंसर जैसे लिम्फोब्लास्टिक लयूकेमिया नामक केंसर के मरीजों को बोनमेरो ट्रांसप्लांट भी किया जाता है . जिसमे हड्डियों की मज्जा को स्वस्थ डोनर से निकालकर मरीज को दिया जाता है .
(h) स्टेम सेल ट्रांसप्लांट :- यह भी एक उपचार की पद्धति है , जो फ़िलहाल हमारे देश में नहीं की जाती है .

प्रश्न 14 :- केंसर के उपचार के पश्चात क्या बाद में आगे बार बार जाँच होनी चाहिए या नहीं ?
 आवश्यक तौर पर मरीज को उसके केंसर का पूरा पूरा उपचार करवाने के बाद भी, निरंतर चिकित्सक के सम्पर्क में रहने की सलाह दी जाती है . मरीज का उपचार हो जाने के बाद भी उसे नियमित अन्तराल में चिकित्सक से मिलाकर अपनी आवश्यक जाँच करवाते रहना चाहिए , ताकि केंसर फिर से बढ़ने ना लग जाये . शुरुवात में चिकित्सक केंसर के पूर्ण उपचार हो जाने के बाद तीन माह में एक बार जाँच करवाने की सलाह देते हैं . धीरे धीरे यह अवधि बढ़ जाती है . फिर साल में एक बार ही चिकित्सक से मिलाकर जाँच करवाना जरुरी होता है .

प्रश्न 15 :- हमें कौन कौन सी सावधानी अपनानी चाहिए , ताकि केंसर की बीमारी से बच सकें ?
जी हाँ , “ बीमारी के उपचार से बेहतर है उससे बचाव “ जिसे चिकित्सक कहते हैं :- “ Prevention is better than cure.” इसलिए हह सावधानी अपनाने से केंसर से बचाव हो सकता है .
(1) नियमित दिनचर्या अपनाना बेहद आवश्यक है .समय पर भोजन करना, समय पर सो जाना , समय पर जागना जरुरी है . भोजन में संतुलित आहार लेना जरुरी है . अधिक मिर्च मसाले युक्त भोजन अधिक नहीं खाना चाहिए .भोजन में सलाद का भरपूर उपयोग किया जाना ज्यादा फायदे मंद होता है . फ़ास्ट फ़ूड तथा जंक फ़ूड को अधिक से अधिक खाने से बचना चाहिए . ताजे फल तथा हमारे आसपास उपलब्ध सभी प्रकार के फलों का धिक्त्क इस्तेमाल शरीर के लिए फायदेमंद होता है .
(2) नियमित शारीरक व्यायाम अत्यंत जरुरी कार्य है . प्रतिदिन कम से कम एक घंटे तेजचाल से चलने का व्यायाम सबसे सस्ता तथा सबसे अच्छा व्यायाम है . इसके आलावा यदि आप कोई खेल जैसे फुटबाल , बोलिबोल , साइकिलिंग , तैराकी या डांस वगैरह जो भी करें वह सब अच्छा ही है . कुल मिलाकर अपने शरीर के वजन को नियंत्रण में रखना आवश्यक हैं .यह सब कार्यों से हम ना केवल केंसर जैसी बीमारी से दूर रह सकते हैं बल्कि अनेक प्रकार की दूसरी बीमारियाँ जैसे ब्लड प्रेशर , डाइबीटीज, हार्ट डिसीज , किडनी डिसीज ,ब्रेन स्ट्रोक लीवर फेलुअर इत्यादि से भी निजात पा सकते हैं
(3) सभी प्रकार की नशीली वस्तुओं का इस्तेमाल करना तुरंत बंद कर देना ही बेहतर है . बीडी सिगरेट, तम्बाखू , गुड़ाखू, पानमसाले, पाऊच , शराब इत्यादि नुकसानदेय होते हैं .
(4) कुछ केंसर के बचाव के लिए आजकल टीकाकरण किया जाता है . जिसमे लड़कियों को गर्भाशय के केंसर से बचाव के लिए HPV नामक वेक्सिन लगाया जाता है . जो महिलाओं को होने वाले गर्भाशय के केंसर के लिए प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने में सहायक होता है .
(5) इसके आलावा बच्चे के जन्म के पहले दस वर्ष की अवस्था तक विभिन्न प्रकार की बिमारियों से बचाव के लिए जो भी टीकाकरण किया जाता वह भी केंसर की बीमारी से बचाव के लिए सहायक होता है .   

अंत में स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन तथा मस्तिश्क होता है , तथा स्वस्थ शरीर देश को विकास के दिशा में उत्तरोत्तर आगे ले जाता है .

(आमजन में केंसर की घातक बीमारी के बारे में जागरूकता पैदा किये जाने हेतु संक्षेप में यह लेख लिखा गया है.)

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