रक्षाबंधन और उसके पीछे का सच?
पूरे विश्व में भारत को छोड़कर भाई बहन का रक्षाबंधन जैसा कोई त्यौहार नहीं मनाया जाता है। क्योंकि रक्षाबंधन एक भेदभाव बढ़ाने वाला त्यौहार है। विदेशों में फ्रेंडशिप डे दोस्ती दिवस जैसे बराबरी वाले त्यौहार जरूर मनाए जाते हैं।
क्यों रक्षाबंधन एक भेदभाव बढ़ाने वाला त्यौहार है
भाई का बहन की रक्षा का व्रत लेने का मतलब होता है कि बहन कमजोर है और भाई मजबूत है। क्या बहन सचमुच इतनी कमजोर है कि उसे अपनी रक्षा के लिए भाई का मुंह ताकना पड़े? क्या बहन इतनी मजबूत नहीं बनाई जा सकती कि वह भाई का रक्षा कर सकें। इसे भाई-बहन के मोहब्बत का त्यौहार है ऐसा सामंतवादी मीडिया दिखाने की कोशिश करता है। लेकिन यहां पर भाई-बहन के प्यार से कोई वास्ता नहीं है। यही बहन भाई से अपने पिता की संपत्ति में बराबर का हक चाहती है तो भाई उसका दुश्मन हो जाता है।
इस त्यौहार के बहाने बहुत ही सस्ते में निपटाया जाता है बहनों को।
रक्षाबंधन के त्यौहार में बहनों को साड़ी कपड़ा या हजार रुपए देकर बहुत ही आसानी से भाइयों के द्वारा बहनों को निपटाया जाता है। अगर यही बहन अपने पिता अपने पूर्वजों की संपत्ति में हक मांगती है। भाई के बराबर अधिकार मांगती है। यही भाई उसे रक्षाबंधन में गालियां बकता है । उसे अपने घर में घुसने नहीं देता है। यह भारत की कड़वी सच्चाई है। लाखों प्रकरण न्यायालय में लंबित है जहां बहने अपने भाइयों से अधिकार मांग रही है और भाई देना नहीं चाहता।
इस त्यौहार के मूल में क्या है ? कहां से हुआ इस त्यौहार शुरू? इसकी शुरुआत कब हुई?
रक्षाबंधन बिल्कुल नया त्यौहार है। बमुश्किल 70-80 साल हुए होंगे इस त्यौहार को शुरू हुए। इससे पहले इसी दिन ब्राह्मण अपने जजमानो को रक्षा सूत्र बांधा करते थे। जिसमें बहनों का कोई रोल नहीं होता था। खासतौर पर ब्राह्मण क्षत्रियों एवं वैश्यो को या फिर राजाओं को रक्षा सूत्र बांधकर अपनी रक्षा करने का शपथ लेते थे। और उसके एवज में दान प्राप्त करते थे। आज भी ब्राह्मण इस त्यौहार में लोगों को रक्षा सूत्र बांधते हुए देखे जाते हैं।
ब्राह्मण रक्षा सूत्र बांधते समय इन मंत्रों का उच्चारण करते हैं
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः |
तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल ||
इसका अर्थ होता है जिस तरह मैं तुम्हारे महान पराक्रमी दानव राजा बलि को इस सूत्र के माध्यम से बांध रहा हूं इसी प्रकार में तुम्हें भी मैं इस सूत्र से बांध रहा हूं मेरी रक्षा करना।
अब बताइए रक्षाबंधन के दिन पढ़े जाने वाले इस सूत्र इस मंत्र का भाई बहनों से क्या ताल्लुक है। शुरू से रक्षाबंधन के इस त्यौहार का बौद्धिक लोगों ने विरोध करना प्रारंभ किया और इस पर अपने तर्क दिए इन तर्कों से बचने के लिए ब्राह्मणों ने कई और पुराने संदर्भ देने की कोशिश की।
कृष्ण-द्रौपदी की कथा का प्रचार इसीलिए किया गया।
एक बार भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई तथा खून की धार बह निकली। यह सब द्रौपदी से नहीं देखा गया और उसने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण के हाथ में बांध दिया फलस्वरूप खून बहना बंद हो गया।
कुछ समय पश्चात जब दुःशासन ने द्रौपदी की चीरहरण किया तब श्रीकृष्ण ने चीर बढ़ाकर इस बंधन का उपकार चुकाया।
इसे रक्षाबंधन से जोड़ का प्रचारित किया जाता है। जबकि आप ही बताइए कि इसमें भाई बहन का रक्षाबंधन जैसा क्या है?
इस त्यौहार को प्रचारित करने में सबसे बड़ा योगदान फिल्मों का है। शुरुआत में फिल्में इस त्यौहार को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाती है। बाद में टीवी सीरियल इस पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
महाबली की हत्या का है यह त्यौहार
ऐसा माना जाता है कि रक्षाबंधन बहुजनों दानवों द्रविड़ो के राजा महाबली को आर्यों द्वारा पराजित किया गया था। उसी खुशी में यह त्यौहार प्रतिवर्ष रक्षाबंधन के रूप में ब्राह्मणों द्वारा मनाया जाता है। जिसमें बड़ी संख्या में दलित बहुजन भी शामिल होते हैं जिनका राजा महाबली बताया जाता है।
रक्षाबंधन जैसे त्यौहार की जरूरत क्यों पड़ी?
भारत का सामंती वर्ग ईसाइयों के त्यौहारो से प्रभावित रहा है। ईसाइयों की तरह भारत में कोई भी त्यौहार ऐसा नहीं है जिसे सब मिलकर मनाते हैं। इसके लिए जातिवाद आड़े आती थी। इसीलिए रक्षाबंधन जैसे त्यौहार गढ़े गए। ताकि विदेशियों को यह बताया जा सके कि हमारे भीतर मोहब्बत और प्यार को फैलाने वाला त्यौहार है। रक्षाबंधन इसी कड़ी में प्रचारित किया गया। इस त्यौहार को प्रचारित करने में पूंजीवाद का भी बहुत बड़ा योगदान है।
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