डॉं अम्बेडकर की 125वी जयंती पर सात दिवसीय आयोजन
- संजीव खुदशाह
साथियों जैसा की आपको मालूम है कि छत्ती सगढ नागरीक संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले डॉं अंबेडकर जयंती के अवसर पर 8 से 14 अप्रैल तक आजादी महोत्समव 2016 का आयोजन किया गया। राज्य में लंबी अवधी का संभवत: ये पहला आयोजन रहा है। कुछ लोग इसकी सफलता को लेकर सशंकित थे, तो कुछ साथियों के लिए ये नामुमकिन था। लेकिन इसके भव्य आयोजन के लिए मित्रों का उत्साह और समर्थन से हमे भरपूर उर्जा और आत्म बल प्राप्त होता रहा। इस कार्यक्रम में हमने उन सभी मुद्दो को छुआ जिसपर इसके पहले कभी इतने बड़े प्लेटफार्म पर चर्चा नही हुई। पहले दिन डॉं अम्बेंडकर के परिप्रेक्ष्य में आजादी के मायनो पर चर्चा हुई, दूसरे दिन दो पालियों में महिलाओं तथा अल्प संख्यक के मुद्दो पर बात हुई, तीसरे दिन भी दो पालियों पर आदिवासियों के मुद्दो पर तथा मजदूर किसान वर्ग पर बात करने की कोशिश की गई। चौथे दिन 11 अप्रैल महात्मा् फूले जयंती के अवसर पर खास तौर पर पिछड़ा वर्ग के बहुजन आंदोलन पर योगदान विषय पर चर्चा रखा गया। पांचवे दिन मानव अधिकार के मुद्दो पर बहस हुई, छटवे दिन शिक्षण संस्थानों में हाशिये के समुदायों के विद्यार्थियों का संघर्ष विषय पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया और अंतिम दिन के पहले सत्र में सफाई कामगार समाज की अंबेडकरवादी आंदालन में भागीदारी विषय पर तथा दूसरे सत्र में न्याय समानता और स्वतंत्रता के लिए अम्बेडकर के बाद जाति विरोधी आंदोलन के संघर्ष पर पैनल चर्चा हुई। मै यहां बताना चाहूगां की प्रत्येक सत्र में उसी खास समुदाय से आने वाले या उस खास मुद्दे पर काम करने वाले प्रसिध्द व्यक्तियों ने हिस्सा् लिया। इस प्रकार हमें सभी हासिये के समुदायों के विषय में जानने समझने का मौका मिला। लगभग रोज हमने फिल्म का प्रदर्शन किया जैसे जयभीम कामरेड, फूल नही चिनगारी है छत्तीमसगढ की नारी है, जब्बार पटेल निर्देशित डॉं अम्बे डकर, समर आदि आदि इसी प्रकार हमने सत्र के अंतराल में कलां संध्यां का भी आयोजन किया जैसे लोक नृत्य, पंथी नृत्य, जनगीत, सुगम संगीत, मिमिक्री इत्यादी।
इस आज़ादी महोत्सव 2016 के सफल आयोजन के बाद तथा उसके
संयोजक होने के नाते मुझे यह बताने में कोई संकोच नही है कि ऐसे आयोजन की सोच
दरअसल महाराष्ट्र के यवतमाल में सावित्री
बाई फुले की जयंती पर आयोजित होने वाले सात दिवसीय कार्याक्रम से उपजी, वहां
हर सत्र एक अलग संस्था के द्वारा
कार्यक्रम का आयोजित होता है। खुले मैदान में होने वाले यह उत्सव प्रतिवर्ष मनाया
जाता है। पिछले साल मेहतर समुदाय के सह आयोजन में किये गये एक कार्यक्रम मे मुझे
मुख्य वक्ता के तौर पर शिरकत करने का मौका मिला।
हमने यहां छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में इस आयोजन को
ढालने की कोशिश की जिसमें यहां के लगभग 35 संगठनों ने भाग लिया। मै इस कार्यक्रम
के सफल आयोजन का श्रेय खास तौर पर आयोजन समिति के सदस्यों को देना चाहता हूँ। जिन्होने इतने कम समय पर
अपनी जिम्मेजदारियों को निभाया। जिनके योगदान के बिना यह आयोजन नही किया जा सकता
उनमे से कुछ के नाम मै यहां लेना चाहूंगा जैसे चंद्रिका कौशल, अंजु
मेश्राम, तुहीन देव,
रविन्द्र यादव,
गोल्डीर एम जार्ज, राजु
गणवीर, विक्रम त्यागी,
राजु शेन्द्रे , विष्णु
बघेल , अखिलेश एडगर,
शाकिर कुरैशी, दीपिका, दुर्गा
मेडम, कुमुद नंदगवे आदि आदि यह एक लंबी फेहरीस्त है।
मै दिल से शुक्रगुजार हूँ,
हमारे कम्युनिष्ट और
अंबेडकरवादी साथियों का, उन साथियो का जो प्रगतिशील विचारधारा का
समर्थन करते है। मै उन तमाम दलित, आदिवासी,
पिछड़ा वर्ग , अल्पासंख्यरक, महिलाओं, मानव
अधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार, छात्र,
युवा, मजदूर
किसानो का तहे दिल से शुक्रगुजार हूं जिन्होने अपनी व्यस्ताताओं के बावजूद इस
कार्यक्रम में भाग लिया। मै छत्तीसगढ और उसके बाहर से आने वाले सभी वक्ताओं, अतिथियों
का भी अभारी हूँ जिन्हो ने इस महोत्स्व को एक सार्थक दिशा प्रदान करने का काम किया।
साथियों जैसा की आप बावास्ता है की इस
आयोजन का असल मकसद संविधान की मूल भावना के अनुरूप भारत के विभिन्न समुदाय, विचार
धाराओं के बीच दूरी को कम करना तथा आजादी की सही परिभाषा एवं उसका अर्थ
अंबेडकरवादी और मूलनिवासी दृष्टिकोण से रखने का था। जिस पर हम बहुत हद तक कामयाब
हुये है।
आदर सहित
जय भीम कामरेड
संजीव खुदशाह
संयोजक-आजादी महोत्सव
2016
रायपुर छत्तीसगढ़