जानिए आखिर क्यों प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिया गया?

भाजपा राहुल गांधी को भी भारत रत्‍न सम्‍मान देगा
सचिन खुदशाह
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को भारत रत्न पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका तो भाजपा के थे और उनका आर आर एस से करीबी का रिश्ता रहा है। इसलिए इन दोनों पर तो कोई चर्चा नहीं हो रही है। लेकिन बहुत सारे लोग प्रणव मुखर्जी के नाम पर चर्चा कर रहे हैं। क्योंकि वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे हैं। और राष्‍ट्रपति समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने काम किया है।
नाम की घोषणा होते ही भारत की गोदी मीडिया ने कांग्रेसी नेताओं से प्रश्‍न करना शुरू किया कि भाजपा सरकार ने भारतरत्‍न प्रणव मुखर्जी को दिया है आपको कैसा लग रहा है? आप तारीफ करेंगे या विरोध करेंगे? आपने तो उन्हें भारत रत्न नहीं दिया था? इस तरह के प्रश्न दरअसल मामले को उल्‍झाते हैं और जो असल मुद्दे से गुमराह करते हैं।
मैं आपको बता दूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न देना कहीं से भी कोई आश्‍चर्य की बात नहीं है। आप याद करिए प्रणव मुखर्जी शुरू से कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे पर चलते रहें हैं। और यही ऐजेन्‍डा आर एस एस का है यदि आप भूल चुके हो तो बताना चाहूगां कि राष्ट्रपति रहने के दौरान उन्होंने प्रोटोकॉल को तोड़कर बंगाल के एक परंपरागत मंदिर में पुजारी बनकर पूजा अर्चना करवाई थी। जबकि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र प्रमुख द्वारा ऐसा किया जाना संविधान की भावना के विपरीत है। उस समय उनकी इस मामले में काफी किरकिरी भी हुई थी।
कांग्रेस के विभिन्न पदो में रहने के दौरान भी प्रणव मुखर्जी कट्टर हिंदूत्‍व के अपने ऐजेडे पर चलते रहे है। वह भले ही अपने आप को धर्मनिरपेक्ष दिखाने की कोशिश करते रहे लेकिन उनका हिंदूवादी ऐेजेन्‍डा सामने आता रहा है आप ही बताइए कि जीवन भर कांग्रेस में रहने के बाद और कांग्रेस के द्वारा राष्ट्रपति बनाए जाने के बावजूद आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि आर एस एस के बुलाए जाने पर उन्हें जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। सिर्फ वे आर एस एस के कार्यक्रम में गए नहीं बल्कि खुले दिल से उन्होंने आर एस एस की तारीफ की। वह भी उन्होंने ऐसे समय तारीफ कि जब आर एस एस के द्वारा संविधान संशोधन, आरक्षण समीक्षा  और हिन्‍दू राष्‍ट्र जैसे वि‍वादित मुद्दे को अठाया जा रहा है। यह तारीफ दरअसल उनके कट्टर हिंदुत्ववादी एजेंडे पर चलने का एक सबूत मात्र है।
आर एस एस इस तीर से दो निशाने करना चाहता है पहला यह कि वह यह बताना चाहता है कि कांग्रेसी यदि कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे पर चलेगे तो वहउसे इनाम देगा। दूसरा यह है कि लोगों में यह संदेश दिया जा सके कि केवल आर एस एस वालों को ही या बीजेपी के लोगों को ही भारत रत्न नहीं दिया जा रहा है। बल्कि विपक्षी पार्टी के सदस्य को भी भारत रत्न दिया जा रहा है ताकि वह अपने कटटरवादी चेहरे पर मुखौदा लगाया जा सके।
कुछ दिन बाद राहुल गांधी को भी भाजपा भारत रत्न का पुरस्कार दे सकती है। क्योंकि राहुल गांधी भी कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे पर चल रहे हैं। जिस प्रकार से वे जनेऊ दिखा रहे हैं। अपना गोत्र बता रहे हैं। और विकास के मुद्दों को छोड़कर मंदिर मंदिर घूम रहे हैं। यह भाजपा के एजेंडे पर ही चल रहे हैं। दरअसल भाजपा यही चाहती है कि विपक्ष और तमाम गैरसवर्ण हिंदू यही काम करें। भाजपा अपने मकसद में सफल होते हुए दिखती है। यहां पर एक आम आदमी छला हुआ और ठगा सा महसूस करता है। और ऐसे लोग जो कि कांग्रेस में धर्मनिरपेक्षता की उम्मीद देखना चाहते हैं उन्हें को निराशा होती है। क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि मोदी से ज्यादा मंदिरों में जाने का रिकॉर्ड राहुल गांधी के पास है। और जिस तरीके से अभी मध्यप्रदेश राजस्‍थान और छत्तीसगढ़ में जीतने के बाद राजस्थान और मध्य प्रदेश में जो फैसले गायों के संबंध में लिए गए वह उनके कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे को ही बढ़ाते हुए देखते हैं। यह एक प्रकार से भाजपा के ही या फिर कहें आर एस एस के एजेंडे को ही फॉलो करते हुए नजर आते हैं।
मैं आपको बताना चाहता हूं कि आर एस एस अपने कट्टर हिंदुत्व के रवैये को लेकर चलना चाहती है। उसका मकसद है कट्टर हिंदुत्व को बढ़ाना, ना कि भारतीय जनता पार्टी को बढ़ाना। भविष्य में यह भी हो सकता है कि वह भाजपा के बजाए कांग्रेस को सर्पोट करे। जिस तरीके से कांग्रेस कट्टर हिंदुत्व की तरफ जा रही है। इसमें कोई आश्‍चर्य नही होगा की भविष्‍य में मंदिर मंदिर धूमने के कारण भाजपा राहुल गांधी को भी भारत रत्‍न देदे। वे भले ही विदेश में आर आर एस की बुराई करते है। लेकिन राहुल के ऐजेण्‍डे में विकास गुम हो चुका है। प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न देना इसका एक छोटा सा उदाहरण है।

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