Suspense of Corona & lockdown Dr k b bansode

करोना और लॉकडाउन का रहस्य है ।

डॉ केबी बनसोडे रायपुर

(एक सप्ताह तो क्या एक साल का लॉक डाउन करके देख लो .....जब भी जांच करोगे , 70 % केस पोसिटिव निकलेंगे ।)

लॉक डाउन किसी समस्या का समाधान नही है ।
जितने अधिक लोगों की जांच होगी , उतनी पोसिटिव रिपोर्ट भी आयेगी । क्योकि RT- PCR  टेस्ट अपने आप ही सन्देहास्पद फिर किसी व्यक्ति को केवल उसकी रिपोर्ट के आधार पर मरीज समझना , उसे क्वारेन्टीन के नाम पर इसोलेट करना , तथा बिना किसी तकलीफ के अनावश्यक दवाई खिलाना केवल अज्ञानता है । हर्ड इम्यूनिटी के लिये सभी को आपस में घुलमिलकर रहना जरूरी है । जब किसी व्यक्ति को सर्दी खाँसी या बुखार हो , तो उसे उपचार दिया जाना सही है । जब बिना किसी उपचार के भी कोई व्यक्ति स्वस्थ रहे , तो दवा खिलाना गलत है ।

लॉकडाउन से क्या होगा?
एक सप्ताह तो क्या एक साल का लॉक डाउन करके देख लो .....जब भी जांच कडरोगे , 70 % केस पोसिटिव निकलेंगे ।कोरोना पोसिटिव होने का मतलब ये नही कि व्यक्ति का मरना जरूरी है ।कोरोना एक बार पोसिटिव आने के  बाद भी फिर से कई बार पोसिटिव आ सकता है । इसके बाद भी पोसिटिव आदमी मरेगा नही ।अभी तक हमारे प्रदेश में जितने लोग की मृत्यु हुई वे केवल कोरोना से संक्रमित होकर उनको निमोनिया हुवा , उसको वेंटिलेटर में रखकर ईलाज देने के बाद भी ठीक नही हो पाया , और उसकी मृत्यु हुई , इसका कोई सबूत नही मिला है ।जिन लोगो की मृत्यु हुई वे पहले से ही किसी ना किसी गम्भीर बीमारी से पीड़ित थे । अस्पताल में भर्ती के समय उनकी जांच में कोरोना पोसिटिव पाया गया ।उसे कोरोना से मृत्यु हुवा कहना क्या धोखेबाजी नही है ? इसी सिलसिले में लल्लन टॉप यू ट्यूब चेनल की रिपोर्ट आयी है कि एक जहाज में 35 लोग जो 35 दिनों तक समुद्र में थे , वे कोरोना पोसिटिव पाये गये । हालाकि वे लोग सभी समुद्र की यात्रा में जाने के पहले अपनी जांच करवा चुके थे , तब सभी नेगेटिब थे । इसके बावजूद वे जाने के पहले 14 दिन कोरेन्टीन भी रहे । अब बताओ क्या रहस्य है , इसका ?

हालांकि वे अपनी यात्रा पूरी किये बिना वापस आ गये , क्योकि उनमें से अधिकांश बीमार हो गये थे । यहाँ तक कि जहाज के चिकित्सक भी बीमार हो गये थे ।कुल मिलाकर रहस्यपूर्ण कहानी है ।इतना जरूर है कि बीमार को उसकी जरूरत के अनुसार  उपचार जरूर मिलना चाहिये । टेस्ट पोसिटिव आने भर से डरने की कोई जरूरत नही है।करोना एक पूजीवादी षड्यंत्र हो सकता हैबल्कि सबको पोसिटिव होना ज्यादा अच्छा है ।रहस्य फिलहाल अब लगभग खत्म हो चला है ।

पूंजीवादी षड्यंत्र है ।
मेरी जानकारी के अनुसार, ( हालाकि यह गलत भी हो सकता है !)  विश्व में युद्ध की स्तिथि कम हो रही है । इसलिये सबसे बड़ा बाजार हथियारों (विभिन्न प्रकार के जैसे गोली , बारूद , टैंक , लड़ाकू जहाज , विभिन्न प्रकार के युद्ध में काम आने वाले उपकरणों ) की खपत कम हो गई है । *जो कि दुनिया का नम्बर वन कमाई का जरिया था । उसके फेक्ट्री में काम कम है ।*अब दुनिया का दूसरे नम्बर का मुनाफे का धंधा है वह है हेल्थ इंडस्ट्री । उसमें रिसर्च से लेकर तमाम वस्तुओं यानी दवाई , से लेकर सब कुछ में मुनाफा बेहिसाब है । इसको दुनिया के बड़े व्यापारी कंट्रोल करते हैं ।और वह सबको मैनेज करते हैं ।

हमारे देश में लगभग 10 लाख लोग सड़क दुर्घटना में प्रतिवर्ष मारे जाते हैं । टीबी , केन्सर , हार्ट डिसीज , किडनी डिसीज , लिवर डिसीज , केन्सर , ब्रेनस्ट्रोक इत्यादि बीमारी से मारने वालों की संख्या कोरोना से कई गुना अधिक है ।

भुखमरी और कुपोषण के अलावा छोटे बच्चों की मृत्युदर जन्म से लेकर दो वर्ष तक एवम गर्भवती महिला के प्रसव के दौरान होने वाली मृत्यु दर भी अधिक है ।

कुल मिलाकर हमारे देश में पीने के साफ पानी का अभाव अब भी है । शौचालय का क्या हाल है , यह हम देख रहे हैं । भोजन में पौष्टिक भोजन कितने कम लोगों को हासिल हो पाता है ? शिक्षा का अभाव से सही जानकारी मिलना आम व्यक्ति के लिये दुर्लभ है । स्वास्थ्य के लिये भी कोंग्रेस ने गांव गांव में सीएचसी , पी एचसी , जिला अस्पताल इत्यादि को जितना विकसित किया , उसका अब क्या हाल है , आप देख ही रहे हैं ।प्राइवेट क्लिनिक तथा अस्पताल के अलावा कॉरपोरेट अस्पताल के बारे में क्या कहना । उनमें जाने की हैसियत किसकी है ? स्मार्ट कार्ड तथा आयुष्मान कार्ड कहने को है , उसके बदले मरीज को अपनी जेब से ज्यादा पैसे खर्च करना पड़ता है ।स्मार्ट कार्ड का फायदा अस्पताल तथा इंस्योरेन्स कम्पनी को मिलता है ।अब क्या क्या बताऊँ , सब कुछ तो आपके भी सामने खुला हुवा है ही ।

अंतिम बात 
कोरोना संक्रमण के बारे में कहूँगा कि इससे हमारे देश में अब तक लगभग 10 लाख लोग पोसिटिव हुवे । मरने वालों की कुल संख्या 23 हजार है । इसका अर्थ यह है कि कुल संक्रमित व्यक्तियों में से केवल अधिकतम 3% लोगों की मृत्यु हो रही है । उनमें भी अधिकांश किसी ना किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति हैं । यदि कोरोना नही होता , तो भी उनको मरना ही था । अब उसे कोरोना के नाम से चिन्हित किया जाना गलत है ।इसलिये सभी को कोरोना हो जाने दिया जाये । 130 करोड़ की जनसंख्या में से 10 करोड़ लोग मरेंगे , तो यह कोई भी संख्या नही है । इसलिये लोगों को डराकर घर में बंद करना , उनको घर में कैदी बनाना , उनके जनवादी अधिकारों को खत्म / कम किया जाना , पोलिस राज में देश को धकेलना , तानाशाही की दिशा में ले जाना , बेरोजगारी , भूख , महंगाई , के अलावा देश की सम्पूर्ण जनता को *शारीरिक तथा मानसिक बीमार* बनाना गलत ही है ।

शिक्षा को भी बर्बाद किया जा रहा है । 
हमारे देश मे शहरों में नेटवर्क की समस्या होती है । लेकिन गांव गांव में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ना कितना हास्यास्पद है । कितने लोगों के पास एंड्राइड फ़ोन है , या लैपटॉप है ? कितने बच्चे जो सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं , उनका तो हाल आप पूछो ही नही ।जो बच्चे रोज कमाते खाते हैं , उनके पास कहां का मोबाईल होगा । और तो और जो बच्चे स्कूल की क्लास में नही पढ़ पाते वे मोबाइल से पढ़ेंगे क्या ?जितनी जल्दी हो स्कूल और कॉलेज खोल दिया जाना चाहिये ।भविष्य के लिये सरकार के पास कोई कार्यक्रम है क्या ? देश के सभी बच्चों का एक साल लगभग बर्बाद ही हो गया है । व्यक्ति की उम्र कम हो जायेगी , या बढ़ेगी ? अब उसके जीवन को बर्बाद किया जाना सही है क्या ? इसलिये इतने सारे सवाल का जवाब सरकार को देना ही होगा ।सरकार को अपने देश की जनता के बारे में सही निर्णय लेकर आगे बढ़ना होगा । वरना पीछे जाना तय हो ही चुका है ।

1 comment:

  1. डॉ साहब द्वारा बताये इन सभी तथ्यों पर विचार किया जाना जरूरी है

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