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Even the lockers of banks are not safe, where should the citizens go

 बैंकों के लॉकर भी सुरक्षित नहीं, नागरिक जाए तो कहां जाएं

संजीव खुदशाह 

बैंक और लाकर की सुविधा शुरू होने से पहले लोग अपने बहुमूल्य रुपए पैसे और कागजात गुप्त रूप से रखी तिजोरी में रखा करते थे। प्राचीन काल में लोग घर में ही किसी गुप्त स्थान पर गड्ढे खोदकर किसी मटकी या बर्तन में बहुमूल्य चीज़े रखा करते थे। लेकिन इसमें भय यह होता था कि यदि घर के जिम्मेदार व्यक्ति की असमय मौत हो जाती तो वह गुप्त स्थान में रखी चीजे उनके परिवारजनों को नहीं मिल पाती। या कई बार ऐसा होता की चोर और डकैत उन गुप्त स्थान से भी चोरी कर लिया करते लूट की वारदात हो जाती। यानी घर में रखी चीजे सुरक्षित नहीं मानी जाती है। 


इस कारण लोगों ने अपने रूपए पैसे बैंक में रखना शुरू किये। बहुमूल्य वस्तुएं, गहने और कागजात के लिए बैंकों में लाकर की सुविधा शुरू हुई। तो लोगों ने इसका लाभ लेना शुरू किया। यह सोचकर की बैंकों में 24 घंटे सुरक्षा होती है। उनकी चीजे वहां सुरक्षित होगी। लेकिन विगत दिनों घट रही घटनाओं से यह सुरक्षा की गारंटी भी खत्म होती दिखती है। एक आम नागरिक घर में चोरी डकैती न हो जाए यह सोचकर अपने बहुमूल्य कागजात और जेवर रूपए पैसे बैंकों के लॉकर में रखते हैं। ताकि वहां पर वे सुरक्षित रहें। लेकिन कई बार ऐसी घटना सामने आती है कि चोर बैंक की तिजोरी को न निशाना बनाकर उसके लाकर को निशाना बनाते हैं। और आम जनता, बैंकों के ग्राहक हाथ मलते रह जाते हैं।

पिछले दिनों 17 दिसंबर को लखनऊ के ओवरसीज बैंक में दीवार काटकर चोरों ने 90 में से 42 लॉकर तोड़कर करोड़ों रुपए और जेवर पार कर दिए। बताया जा रहा है की दिन में बैंक के आसपास के इलाके की रेकी की, इस दौरान बैंक में आसानी से दाखिल होने के रास्ते की तलाश की, आसपास कहां-कहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैं इसका पता लगाया। चार दिन एक-एक चीज की बारीकी से रेकी के बाद गिरोह ने तय किया कि शनिवार की रात वारदात को अंजाम दिया जाएगा। चोरों ने मुंह में कपड़ा बांधा हुआ था तथा हेलमेट लगाए हुए थे ताकि सीसीटीवी से उनकी पहचान न हो सके। हालांकि लखनऊ के इस बैंक के मामले में चोर पकड़े गए तथा चोरी के सामान भी बरामद कर लिए गए। यह स्थानीय पुलिस की सक्रियता के कारण संभव हो पाया। खबर यह भी है कि एनकाउंटर में दो चोर मारे गए।  घटना के दूसरे तीसरे दिन बैंक लॉकर के ग्राहक घटनास्थल पर पहुंचे और रोते बिलखते हुए दिखे। किसी ने बताया कि उसने अपनी बेटी की शादी के लिए गहने वहां रखे थे । तो किसी ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद अपने जीवन की सुरक्षा के लिए सारे बहुमूल्य पेपर और पैसे वहां रखे थे। किसी ने बताया कि उनकी प्रॉपर्टी के कागजात वहां पर थे। लेकिन अब वह वहां नहीं है । उनके लॉकर टूटे हुए थे। चोरों से बरामद सामान में भी ग्राहकों को अपने सामान की पहचान और दावा करने में कई अड़चनों का सामना करना पड़ेगा। जब तक उनके पास पूरा वैद्य दस्तावेज नहीं होगा। तब तक उन्हें उनके गहने जेवर रूपए पैसे प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

इस प्रकरण में बैंक अफसर यह दावा कर रहे हैं और अपनी सफाई दे रहे हैं कि बैंक की तरफ से सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई। रिजर्व बैंक आफ इंडिया के नियमों के मुताबिक पूरी व्यवस्था थी। लॉकर में डबल लॉक रहता है। इसकी एक चाबी बैंक के पास और दूसरी ग्राहक के पास होती है। ऑडिट विभाग समय-समय पर इमारत की सुरक्षा की पड़ताल करता है। ऑडिट में बैंक के भवन को सुरक्षित बताया गया। यह भी बताया गया कि सभी बैंक आरबीआई के नियमों के तहत ही संचालित होते हैं। किसी भी बैंक में रात को गार्ड की तैनाती करने की व्यवस्था नहीं है। रात कि सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस और गश्ती दल की होती है।

गौरतलब है कि आधुनिक सुरक्षा प्रणाली एवं तकनीक के बावजूद चोर किस तरह बैंक में दाखिल हुए और 42 लाकरों को उन्होंने तोड़ा। लेकिन बैंक के मैनेजर तक को पता नहीं चला। चूंकि बैंक में स्वचालित अलार्म की व्यवस्था होती है। इस समय अलार्म क्यों नहीं बजे। यदि बजे तो चोरों तक अधिकारी क्यों नहीं पहुंच पाए। यह सारी चीज प्रश्न वाचक चिन्ह खड़ा करती है। खैर ऐसी स्थिति में बैंकों के ग्राहक अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं। क्योंकि उनके सामने यह प्रश्न खड़ा हो जाता है कि जब बैंक भी सुरक्षित नहीं है तो वह अपने बहुमूल्य सामान को रखे तो कहां रखें। बैंक के लॉकर की शर्तों में इस बात का जिक्र होता है की चोरी होने की स्थिति में बैंक की जिम्मेदारी नहीं होगी। कई बैंक लॉकर का बीमा करवाते हैं ऐसी स्थिति में भी नुकसान ग्राहक को होता है। क्योंकि बहुमूल्य वस्तुएं और जरूरी कागजात वापस नहीं मिल पाते हैं।

काश ऐसे कड़े‍ नियम बनाए जाते जिससे बैंक अफसरों की जिम्मेदारी तय होती और बैंक लॉकरों के प्रति लोगो का विश्वास कम होने के बजाए बढ़ता। उन खामियों को दूर किया जाना चाहिए जिसके सहारे ऐसे वारदात को अंजाम दिया जाता है।

राष्‍ट्रीय सहारा दिनांक 30/12/2024 को प्रकाशित