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The Big lie of the century -hai preet jahan ki reet sada

सदी का महाझूठ - है प्रीत जहां की रीत सदा

संजीव खुदशाह

भारतीय सिनेमा के कुछ गीतों ने समाज पर अमिट छाप छोड़ी है। कुछ गीतों ने तो लोगो का मार्ग दर्शन भी किया है। इनमें कुछ गीत ऐसे भी रहे है जिन्‍होने समाज पर अमिट छाप तो छोड़ी है लेकिन वे  झूठ के पूलिंदे रहे है, महज भावनाओं से भरे हुये, सच्‍चाई से कोशो दूर।

ऐसा ही एक गीत है है प्रीत जहां की रीत सदा। इस गीत को फिल्‍म पूरब पश्चिम के लिए इंदिवर उर्फ श्‍यामलाल बाबू राय ने 1970 में लिखा था। प्राथमिक शालेय जीवन में यह गीत  इन पंक्तियों के लेखक के मस्तिष्‍क पर गहरे तक प्रभावित किया था। वह महेन्‍द्र कपूर की आवाज में इस गीत को गया करते। उन्‍हे लगता था की इस गीत की लिखी बाते शब्‍दश: सही है। लेकिन जैसे जैसे लेखक बड़ा हुआ उसके अनुभव और ज्ञान में वृध्दि होती गई । सपनों की दुनिया के बजाय जीवन के सच्‍चाइयों का सामना होता गया। वैसे वैसे इस गीत के एक-एक लफ़्ज झूठे साबित होते गये। आज इसी गीत पर बात होगी। पहले आप  गीत की पंक्तियोंको पूरा पढ ले ।

जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने

भारत ने मेरे भारत ने

दुनिया को तब गिनती आयी

तारों की भाषा भारत ने

दुनिया को पहले सिखलायी

 

देता ना दशमलव भारत तो

यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था

धरती और चाँद की दूरी का

अंदाज़ लगाना मुश्किल था

 

सभ्यता जहाँ पहले आयी

पहले जनमी है जहाँ पे कला

अपना भारत जो भारत है

जिसके पीछे संसार चला

संसार चला और आगे बढ़ा

ज्यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया

भगवान करे ये और बढ़े

बढ़ता ही रहे और फूले-फले

मदनपुरी: चुप क्यों हो गये? और सुनाओ

स्‍थाई

है प्रीत जहाँ की रीत सदा

मैं गीत वहाँ के गाता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ

भारत की बात सुनाता हूँ

अंतरा 1

काले-गोरे का भेद नहीं

हर दिल से हमारा नाता है

कुछ और न आता हो हमको

हमें प्यार निभाना आता है

जिसे मान चुकी सारी दुनिया

मैं बात वोही दोहराता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ

भारत की बात सुनाता हूँ

अंतरा 2

जीते हो किसीने देश तो क्या

हमने तो दिलों को जीता है

जहाँ राम अभी तक है नर में

नारी में अभी तक सीता है

इतने पावन हैं लोग जहाँ

मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ

भारत की बात सुनाता हूँ

अंतरा 3

इतनी ममता नदियों को भी

जहाँ माता कहके बुलाते है

इतना आदर इन्सान तो क्या

पत्थर भी पूजे जातें है

इस धरती पे मैंने जनम लिया

ये सोच के मैं इतराता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ

भारत की बात सुनाता हूँ

क्‍या सच में भार ने जीरो दिया है?

 

 (जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने

भारत ने मेरे भारत ने)

आमतौर पर एक आम पढ़ा लिखा भारतीय यह मानता है कि भारत में शुन्‍य का अविष्‍कार हुआ। कुछ का कहना है कि पांचवी शताब्‍दी में भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने शुन्‍य का प्रयोग पहली बार किया था। यह मान्‍यता सिर्फ भारतीयों की है विश्‍व इससे कोई इत्‍तेफाक नही रखता। ये खुशफहमी भारत में कैसे घर कर गई यह एक अलग

विषय है। लेकिन शून्‍य का अविष्‍कार किसने किया और कब किया आज एक अंधकार की गर्त में छुपा हुआ है।

ऐसी  कथाएं प्रचलित है की पहली बार शून्‍य का अविष्‍कार बाबिल इराक में हुआ दूसरी बार माया सभ्‍यता 1500 इपू के लोगो ने इसका अविष्‍कार किया। ऐसी जानकारी मिलती है कि मेसोपोटामिया के सुमेरियन लेखको (3500 ई पू) स्‍तंभो में अनुपस्थिति को निरूपित करने के लिए रिक्‍त स्थान का उपयोग किया था।

हाल ही में अमेरिकी गणितज्ञ आमिर एक्‍जेल ने सबसे पुराना शून्‍य कंबोडिया में खोजा है। उन्‍होने अपनी किताब (फाईउिग जीरो: ए मैथमेटिशियन ओडिसी टू अनकवर द ओरिजिन आफ नंबर 2015) में दावा करते है की सबसे पुराना शून्‍य भारत में नही बल्कि कम्‍बोडिया में मिला।

यानि ताजा खोज से ये सिध्‍द होता है कि जीरो की खोज भारत में नही हुई।

(दुनिया को तब गिनती आयी)

यह एक बड़ा झूठ है विश्‍व की पुरानी से पुरानी सभ्‍यता सुमेरियन (3500 ई पू) में सिक्‍के और बैकिंग प्रणाली के सबूत मिले है जो की बिना गिनती के सम्‍भव नही है।

 तारों की भाषा भारत ने

दुनिया को पहले सिखलायी

यदि कवि का इशारा ज्‍योतिष विज्ञान से है तो यह एक धूर्त भाषा है। भारत में ज्‍योतिष नक्षत्र  के बहाने लोगो को ठगा जाता है। यदि कवि का इशारा तारो की खोज से है तो  बता दे की अरस्‍तु के बाद गैलिलियों ने नक्षत्र और तारों के बारे में वैज्ञानिक ढंग से बताया। और अपना दूरबीन यंत्र विकसित किया।

यह कहना की तारो की भाषा भारत ने सिखलायी कोरी कपोल बाते है।

दशमलव भारत ने दिया ?

इसका संबंध शून्‍य के अवि‍ष्‍कार से है जिसकी चर्चा पहले की जा चुकी है।

दशमलव से चांद की दूरी निकाली गई ?

ऐसा लगता है कि कवि इन्‍दीवर का विज्ञान पक्ष काफी कमजोर रहा होगा। दूरी की गणना प्रकाश वर्ष के सिध्‍दान्‍त के माध्‍यम से की गई है जिसका अविष्‍कार यूरोपियों ने किया है।

क्‍या सचमुच सभ्‍यता यहां पहले आई ?

यदि कवि का इशारा सभ्‍यता यानि अच्‍छे चाल चलन से है तो आप इसका अंदाजा यहां के जेलों में बंद धर्म गुरूओं से कर सकते है। यदि कवि का इशारा मानव सभ्‍यता से है तो कार्बन डेटिंग के अनुसार सबसे पुरानी सम्‍यता सुमेर 3500 इसा पूर्व सम्‍यता को माना जाता है। सिंधु घाटी सभ्‍यता 2300 इ पू क माना  जाता है।

क्‍या कला का जन्‍म यहां पहली बार हुआ ?

कवि किस कला का जन्‍म पहली बार हुआ ये नही बता रहे है। शायद उनका इतिहास बोध कमजोर रहा होगा। जब सभ्‍यता में आप पीछे थे तो कला में आगे कैसे हो सकते है।

भारत के पीछे संसार चला ?

आखिर किस मामले में संसार भारत के पीछे चल रहा है। कवि बताने से परहेज कर रहे है। जबकि ज्ञात इतिहास में भारत ही यूरोपिय देशो के पीछे पीछे चल रहा है । यदि अध्‍यात्‍म में आगे चल रहा है तो प्राचीन काल से लेकर अब तक यहां के आध्‍यात्‍मीक गुरूओं के ऊपर हत्‍या से लेकर रेप तक के आरोप क्‍यो लगे है।

स्‍थाई

है प्रीत जहाँ की रीत सदा

मैं गीत वहाँ के गाता हूँ

भारत का रहने वाला हूँ

भारत की बात सुनाता हूँ

mob linching india

प्रश्‍न यह है क्‍या सच मुच प्रीत इस देश की रीत है? महामारी करोना लाकडाऊन जैसी स्थिति में कोरंटाईन में ब्राम्‍हण दलितों के हाथों का बना खाने खाने से इनकार कर रहे है। हजारों कन्‍या भ्रूण जन्‍म से पहले मार दी जाती है। बहुऐ दहेज की बली चढा दी जाती है। दलितों आदिवासियों पिछड़ा वर्ग और मुसलमानों की माब लिंचिंग आम बात है। क्‍या कवि इसी प्रीत की बात कर रहे है।

अंतरा 1

काले-गोरे का भेद नहीं

हर दिल से हमारा नाता है

कुछ और न आता हो हमको

हमें प्यार निभाना आता है

पहले अंतरे को पढने के बाद ये प्रश्‍न उठता है कि क्‍या भारत में सचमुच कोई भेद भाव नही है। जाति भेद, माब लिचिग, छुआ छूत के रहते हर दिल से नाता की बात करना आप जनता को बेवकूफ बनाना है। ये बात तो सही है कि कुछ और आपको नही आता है। पर प्‍यार निभाना भी नही आता है। जातिय और धार्मिक नफरत सिखाने वाले लोग कहते है कि हमे प्‍यार निभाना आता है।

अंतरा 2

जीते हो किसीने देश तो क्या

हमने तो दिलों को जीता है

जहाँ राम अभी तक है नर में

नारी में अभी तक सीता है

इतने पावन हैं लोग जहाँ

मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ

इस अंतरे में भी सिवाय लफाजी के कुछ और नही है। ये बात तो सही है कि भारत ने किसी देश को नही जीता है। लेकिन दिलो को जीतने वाली बात झूठी है। एकलव्‍य का अंगूठा काटने वाले दिल को कैसे जीत सकते है।  शूद्र (पिछडा वर्ग) के संबूक का वध करने वाले राम पूरे देश का आदर्श कैसे हो सकते है। उसी प्रकार अग्नि परिक्षा देने वाली सीता पूरे भारत की नारी की आदर्श नही हो सकती। अब आप ही बताईये की जहां के लोग बात बात में नफरत, छुआ छूत, ऊंच नीच बरतते हो वह पावन कैसे कहला सकते है। वह आज से नही प्रचीन काल से, धर्म ग्रन्‍थो में भी यही छुआ छूत ऊच नीच नफरत भरी हुई है।

अंतरा 3

इतनी ममता नदियों को भी

जहाँ माता कहके बुलाते है

इतना आदर इन्सान तो क्या

पत्थर भी पूजे जातें है

ये बात तो सही है यहां नदियों को माता कहा जाता है। लेकिन ममता की बात झूठी है पूरे मल मूत्र, गंदगी, शव आदि इसी नदियों में बहाकर गंदगी फैलाई जाती है। माता तो यहां गाय को भी कहा जाता है लेकिन सगी माता उपेक्षा का शिकार होकर वृध्‍दा आश्रम में अंतिम समय बिताती है। यह बात तो सही है कि यहां पत्‍थर ही पूजे जाते है मनुष्‍य को आदर तो क्‍या स्‍पर्श के योग्‍य भी नही समझा जाता है।


बाबासाहेब के परिनिर्वाण दिवस की याद में संगोष्ठि का आयोजन


16 दिसंबर 2012 को छत्तीसगढ की राजधानी रायपुर में दलित मुव्हमेन्ट ऐसोसियेशन कि ओर से बाबासाहेब के परिनिर्वाण दिवस की याद में एक संगोष्ठि का आयोजन किया गया। यह सेमिनार दो सत्र में विभाजित था, पहला सत्र का विषय था- बाबा साहेब डाँ अम्बेडकर के बाद दलित आंदोलन की दशा एवं दिशा। दूसरा सत्र-कांचा इलैया की किताब 'मै हिन्दू क्यो नही हूँ?' के पाठ एवं पुस्तकचर्चा पर केंद्रित था। प्रथम सत्र के मुख्य अतिथी तमिलनाडु से आये बसपा के प्रदेश महासचिव श्री जीवन मलार थे। इस सत्र का संचालन श्री रतन गोण्डानेजी ने किया सत्र के प्रमुख वक्ता थे-श्री तुहीन देब निदेशक स्टेट रिरोर्स सेन्टर छ.ग., अरविन्द चुहान, कार्यकर्ता एम्बस, श्री विष्णु बघेल, सी.ए., श्री विश्वास मेश्राम, अध्यक्ष विज्ञान सभा सर्वप्रथम श्री रतन गोण्डानेजी ने दलित मुव्हमेन्ट ऐसोसियेशन के क्रियाकलापों का परिचय दिया कि किस प्रकार यह ऐसोसियेशन छोटी-छोटी गुमनाम दलित जातियों जैसे डोम, डोमार, हेला, मखियार, लालबेगी एवं खटीक के बीच कार्य कर रही है एवं उनमें दलित आंदोलन का प्रचार कर रही है। श्री तुहिन देब ने कहा जो गलतियां कम्युनिष्टो ने जाति भेद को नकार कर की है अब उन्हे यह नही करना चाहिए अब कम्युनिष्ट एवं दलित आंदोलन को एक होकर चलने कि जरूरत है। श्री अरविंद ने कहा हम मूलत: नागवंशी एवं बुध्दिष्ठ है। उसी प्रकार श्री विष्णु बघेल ने कहा दलित आंदोलन में काशिराम का बहुत बडा योगदान है। उन्होने अंबेडकर को पूरे भारत में स्थापित करने का काम किया तथा दलित आदिवासी एवं पिछडो को जागरूक किया। विश्वास मेश्राम ने कहा बाबासाहेब की सोच बहुत व्यापक थी उनके बारे में व्यापक दायरे में सोचने कि आवश्यकता है। सिर्फ बाबासाहेब मेरी जाति के है कहने से नही होगा। हरेक जाति आज अपने आपको श्रेष्ठ समझती है। उन्होने कहा बाबा साहेब द्वारा दिये फायदे को खत्म करने का षडयंत्र हो रहा है। ततपश्चात मुख्य अतिथी श्री जीवन कुमार मलार ने अपना वक्तव्य दिया। उन्होने कहा आज बहुजन आंदोलन के पुरोधा श्री कांशीराम को भुलाने कि कोशिश कुछ षडयंत्रकारियों के द्वारा की जा रही है। तथा मायावती ने बहुजन विरोधी विचार धारा सव्रजन को लाकर अंबेडकरी आंदोलन को नेस्तनाबूत करने का बीडा उठा लिया हे। अब हमें मायावती के बीएसपी पर किये गये बेजा कब्जे से मुक्त कराना है। श्री जीवन ने कहा बाबा साहेब के शिक्षित संगठित एवं संर्घषशील से मतलब एम ए बीए या शासकिय नौकरी नही था। शिक्षित से तात्पर्य शिक्षित दिमाग को विकसित करना है जो अपने शोषकों एवं हितैसियों में फर्क कर सके। इस प्रकार प्रहला सत्र समाप्त हुआ।
दूसरा सत्र प्रसिध्द किताब 'मै हिन्दू क्यो नही हूँ ?' के पाठ एवं परिचर्चा पर केन्द्रीत थी। जिसमें मुख्य वक्ता थे श्रीमति शोभा मुंगेर, श्री संजय पराते, श्री संजीव खुदशाह, श्री शेखरन एवं श्री विश्वास मेंश्राम। सर्वप्रथम श्री संजीव खुदशाहजी ने इस किताब के बारे में बताया कि किस प्रकार एक ओबीसी गडरिया जाति में जन्में श्री कांचा ईलैया हिन्दू धर्म से अंजान थे एवं शासकीय मिशनरियों ने उन्हे उनसे बिना पूछे हिन्दू लिखना एवं पूकारन शुरू कर दिया। श्री खुदशाह जी ने इस किताब के कुछ महत्वपूर्ण अंशो का पाठ किया जिस पर श्री संजय पराते ने आलेख प्रस्तुत किया एवं उडिसा से आये श्री शेखरन ने इस विषय पर विस्तार से अपना मत दिया। अंत में श्री विश्वास मेंश्राम ने संजय पराते के द्वारा उठाये कुछ सवालो का जवाब दिया तथा कहा कि दलितों पर अत्याचार भारतीय संबिधान के वजह से नही बल्कि प्रशासन के कुटिल रवैये के कारण है। इस प्रकार धन्यवाद ज्ञापन करते हुए श्री मेश्राम ने सभी को चाय हेतु आंमंत्रित किया।

हरीश कुण्डे

दलित मुव्हमेन्ट ऐसोशियेशन कि ओर से बाबा साहेब डा अम्बेडकर जयंती कि लाखो बधाईयां।


जय भीम साथियों
आज हमें यह बतलाते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि आज से लगभग ५ वर्ष पहले शुरू किया गया यह प्रयास जो अति दलित जातियों को जागृत करने का उद्देश्य पर केन्द्रित था, आज पूरे देश में एक जाना पहचाना नाम है। दलित मुव्हमेन्ट ऐशोसियेशन का गठन ४ अगस्त २००६ को कुछेक ४-५ सदस्यों के साथ किया गया। हमने एक ऐसे प्लेटफार्म का निर्माण किया जहां सभी पिछड़ी जातियां एवं दबे कुचले वर्ग के लोग मिलकर अपने विचारों का आदान प्रदान कर सके। वर्तमान में हम डोमार, हेला, मखियार, वाल्मीकि आदि अति पिछड़ी दलित जातियों में सामाजिक चेतना का संचार करने के लिए प्रयासरत है।
इस संस्था के प्रारंभिक सोपान में हमने गुगल में एक ग्रुप का निर्माण किया जिसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये 5000 से ज्यादा सदस्यों वाला देश का सबसे बड़ा समूह है। इस समय हमने इसका ब्लाग प्रारभ किया www.dalit-movement-association.blogspot.com इसमें दलित साहित्य से संबंधित किताबों की जानकारी १० किश्तों में प्रकाशित की गई। कई पुस्तक समीक्षाएं एवं दलितों के हित संबंधी जानकारी समय समय पर प्रकाशित होती रहती है। यह ब्लाग एवं ग्रुप आज देश का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला ग्रुप है। इस गु्रप के दो मैनेजर निरंतर प्रबंधन का कार्य करते है। १. विनोद चारवंडे पुणे २. संजीव खुदशाह रायपुर।
इस संस्था ने मानव  अधिकार संस्थाओं के सहयोग से रायपुर, बिलासपुर एवं नागपुर में दलित हित पर कई कार्यक्रम कार्यशालाओं का आयोजन करावाया है। जिनमें दलित वकीलों का सेमीनार भी शामिल है।
इसके बाद सन २०१० में इसका विधिवत पंजीयन किया गया। इस प्रकार दलित मुव्हमेंन्ट ऐसोसियेशन अपने अधिनियम धाराओं सहित मजबूत संस्था का रूप ले लिया। परंपरानुसार संस्था का वार्षिक कार्यक्रम १४ अप्रैल को किया जाता है।
इसी बीच संस्था की कुछ उपलब्धियों से मै आपको अवगत कराना जरूरी समझता हू। पहला ये कि हमने क्ड। का अपना free sms service प्रारंभ किया है। जिसमें हम जरूरी सूचनाएं, शोध, समाचार आदि प्रेषित करते है। इस SMS का लाभ लेने हेतु आपको JOIN DMAINDIA लिखकर 09219592195 पर SMS करना है। इसके बाद आपको हमेशा बिना किसी शुल्क के एस.एम.एस. प्राप्त होता रहेगा। दूसरी उपलब्धि यह है कि हमने अपने ब्लाग में फ्री मेट्रीमोनी सेवा की शुरूआत कि, ताकि दलित समाज के लोग विवाह हेतु आसानी से रिश्ते तलाश कर सके।
तीसरी उपलब्धी यह है कि हमने राजधानी में अपने समाज का सामाजिक भवन हेतु भूमि की तलाश पूर्ण की। अभी इस भूमि को प्राप्त करने हेतु शासन स्तर पर कार्य प्रगति पर है। आशा करते है कि शीघ्र ही हम अपना अगला कार्यक्रम अपने भवन पर करेगे।
अंत में मै अपने सभी सामाजिक बन्धुओं से अनुरोध करूंगा की आईये, बाबा साहेब डॉ.अम्बेडकर के बताए रास्ते पर चले यही एक मात्र रास्ता है हमारे उज्जवल भविष्य का। संगठित हुए बिना विकास संभव नही है और संगठन हेतु तन-मन-धन की आवश्यकता होती है। यदि अपने समाज को उंचाई पर देखना चाहते हो तो समाज के लिए आर्थिक सहयोग प्रदान करे। पादर्शिता हमारा संबल है अत: वार्षिक आय-व्यय की आडिट रिर्पोट हम अपनी पत्रिका दलित उत्थान में प्रकाशित करते है। आशा है यह प्रयास एक सकारात्मक सोच में सहायक होगा।
*संजीव खुदशाह* 

दलित मुव्हमेन्ट ऐसोशियेशन का वार्षिक सम्मेलन तथा डा. अम्बेडकर जयंती समारोह

दलित मुव्हमेन्ट ऐसोशियेशन छत्तीसगढ़ रायपुर

वार्षिक सम्मेलन तथा डा. अम्बेडकर जयंती समारोह


समस्त समाजिक बंधुओं को यह सूचित करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि पिछले वर्ष की भांती १४ अप्रैल को डोमार,हेला, मखियार, सुदर्शन समाज का वार्षिक छत्तीसगढ़ स्तरीय सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से हमारे समाज को संगठित किये जाने की जरूरत महसूस हो रही थी ताकि छत्तीसगढ़ के सभी निवासी बंधु अपनी समस्याओं मुद्दो पर मिल बैठकर बातचीत कर सके। इसी उद्देश्य से हम दलित एवं स्त्री समाज के मुक्तिदाता बाबासाहेब डा.भीमराव आंबेडकर की जयंती पर सामाजिक सम्मेलन का आयोजन कर रहे है।  इस कार्यक्रम में आप परिवार सहित आमंत्रित है।
हमें अपनी उपलब्धी पर गर्व है:-
१.     रायपुर में समाजिक भवन हेतु भूमि का चयन किया जा चुका है। इस भूमि को प्राप्त करने हेतु शासन स्तर पर कार्यवाही जारी है।
२.    डी.एम.ए. के वेबसाईट पर सामाज का मेट्रीमोनीयल वेबसाईट का शुभारंभ।
३.    समाजिक पत्रिका ''दलित उत्थान`` के प्रथम अंक का प्रकाशन।
४.    डी.एम.ए का अपना एस.एम.एस. सर्विस की शुरूआत। Free sms “JOIN DMAIDNA” TO 09219592195
हमारा लक्ष्य:-
१.     शीध्र ही रायपुर में सामाज हेतु भूमि को प्राप्त करने के लिए प्रदर्शन करना।
२.    हमारे आरक्षण कोटे में से ४ प्रतिशत की कटौती की गई है। विरोध प्रदर्शन करना।
३.    जाति प्रमाण पत्र बनाने में आने वाली कठिनाईयों का निराकरण करना। (इस संबंध में डी.एम.ए. के एक प्रतीनिधी मंडल ने मुख्यमंत्रीजी से मुलाकात कर अपना निवेदन प्रस्तुत किया जिस पर कार्यवाही जारी है।)
४.    समाज के लिए राज्य महादलित आयोग का गठन करवाना।


कार्यक्रम का विवरण


दिनांक १४ अप्रैल २०१२
स्थान:- रायपुर छ.ग.

प्रथम सत्र
द्वितीय सत्र
११.०० से २.०० तक कार्यक्रम का उद्धान
             (आये हुऐ अतिथियों व्दारा डा. अम्बेडकर के कार्य पर      केन्द्रित वक्तव्य)
२.०० से ३.०० तक भोजन
३.०० से ४.०० तक   सामाजिक पत्रिका दलित उत्थान का लोकार्पण  आपसी परिचय तथा समाज कि समस्याओं पर केन्द्रित चर्चा
४.०० से ५.०० तक बच्चों का सम्मान एवं पुरस्कार वितरण
५.०० से ६.०० तक   समाजिक समस्याओं एवे उसके उपचार हेतु ऐजेण्डे का अनुमोदन।
जिला संयोजक:- अंबिकापुर:-राजेश राउते, दिवाकर प्रसाद इमालिया, बिलासपुर:- अजिताभ खुरसैल अनंत हथगेन, राजकुमार समुंद्रे, सचिन खुदशाह, चिरीमीरी:-राजेश मलिक, गौरी हथगेन ऐल्डरमैन चिरमीरी, अजय बंदीश दुर्ग-भिलाई:-विजय मनहरे, राजेश कुण्डे, गणेश त्रिमले डोगंरगढ़:-उमेश हथेल, कोरबा:-अशोक मलिक, रमेश कुमार, रायगढ़:-सुदेश कुमार लाला, रायपुर:-, दिनेश पसेरिया, ललित कुण्डेमनोज कन्हैया मनेन्द्रगढ़:-राजा महतो।
राज्य संयोजक - कैलाश खरे मो-०९७५२८७७४८८, हरीश कुण्डे मो. ०९३०१०९९९६३, संजीव खुदशाह मो.०९९७७०८२३३१
टीप-हमे सामाजिक हित में कार्य करने हेतु आर्थिक मदद की आवश्यकता है। आपसे निवेदन है कि इस कार्य हेतु मुक्त हाथों से हमें आर्थिक सहयोग प्रदान करे। नगद सहयोग देकर रसीद प्राप्त करें, आप 'दलित मुव्हमेन्ट ऐसोशियेशन रायपुर` के नाम चेक से भी सहयोग कर सकते हैं एवं फडं ट्रासफर पध्दिती से दलित मुव्हमेंट ऐसोसियेशन के भारतीय स्टेट बैक खाता क्र. ३१७०४८८०६१० में भी मदद कर सकते है। आय व्यय की प्रमाणित प्रति प्रति वर्ष वेबसाईट पर प्रकाशित कि जाती है।

शिक्षित रहो संगठीत होकर संघर्ष करों
सूक्तियां
१.     डॉ. अम्बेडकर द्वारा प्रदत्त शिक्षा, समानता तथा आरक्षण जैसी सुविधाओं का लाभ उठाने में हमे कोई शर्म नही आती है। लेकिन उन्हे अपना मानने में हमे शर्म आती है, क्या ये सही है?
२.    इस समाज को नुकशान उन पढ़े-लिखे लोगों ने ज्यादा पहुचाया, जिन्होने डा. अम्बेडकर द्वारा प्रदत्त सुविधाओं का लाभ लेकर उचाई का मकाम हासिल किया किन्तु उसी समाज तथा बाबा साहेब को तिरस्कृत करने में कोई कसर नही छोड़ी। ऐसे लोगो कि सामजिक, सार्वजनिक भर्त्सना की जानी चाहिए।
३.    जिस समाज का व्यक्ति प्रतिमाह एक दिन का वेतन समाज के लिए खर्च करता है। उस समाज को तरक्की करने से काई रोक नही सकता।
४.    जिस समाज के बुजूर्ग प्रतिवर्ष एक माह के पेंशन का पचास प्रतिशत समाज के लिए देते है। वह समाज शिखर पर होता है।
५.    ऐसी संस्कृति जिसने हमें हजारों सालों से गुलाम बनाये रखा, वा हमारी संस्कृति नही हो सकती।
६.    जिस धर्म ग्रन्थो ने हमें गाली दी, जिस संस्कृति ने हमें शोषित किया, जिन देवताओं ने हमारे पूर्वजों को मारा, वो धर्म वो संस्कृति वो देवता हमारे हो नही सकते।
७.    अपना इतिहास जानों, पूर्वजों की मूल संस्कृति का सम्मान करों, एवं शाषकों की संस्कृति का तिरस्कार करों।
८.    फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने वालों को सजा नही दिया जाता बल्की जाति प्रमाण पत्र बनवाने में कड़े कानून बनाये जाते है ताकि भोली भाली जनता अपने मूलभूत संवैधानिक अधिकारों से मरहूम रहे। क्या ये शासन की जन कल्याण कारी योजना है?
यदि आप अपना विचार इस कार्यक्रम में व्यक्त करना चाहते है तो कृपया लिखित में १४.४.२०१२ के पूर्व हमें प्रेषित करें।
दलित मुव्हमेन्ट ऐसोशियेशन रायपुर, छत्तीसगढ़
शासन व्दारा मान्यता प्राप्त
पंजीयन क्रमांक/ छ.ग.राज्य ३२२०
Please Join  & Visit us at   www.dalit-movement-association.blogspot.com

[D.M.A.-:1447] दलित मुव्हमेन्ट ऐशोसियेशन के एक प्रतिनीधि मंण्डल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर छत्तीसगढ़ में दलित जातियों की कठिनाईयों से अवगत कराया गया।

दलित मुव्हमेन्ट ऐसोसियेशन
(सामाजिक अधिकारों के लिए प्रतिबध्द)
शासन व्दारा मान्यता प्राप्त
पंजीकृत कार्यालय:- 687 दोन्देखुर्द एच.बी.कालोनी, रायपुर (छ.ग.) पिन-493111
प्रेस विज्ञप्ति                                                                                                दिनांक 3/11/2011

पिछले दिनों दलित मुव्हमेन्ट ऐशोसियेशन के एक प्रतिनीधि मंण्डल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह जी से मुलाकात कर छत्तीसगढ़ के दलित जातियों की कठिनाईयों से अवगत कराया गया।
ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी समस्या जाति प्रमाण पत्र नही बनना है। आवेदक से ५०-६० साल पुराना भूमि का रिकार्ड मांगा जाता है। जबकि छत्तीसगढ़ के ज्यादातर दलित खासकर अतिदलित भूमिहीन थे एवं अनपढ़ थे। इस कारण वे यहां निवास करने का ५०-६० साल पुराना रिकार्ड पेश नही कर पा रहे है परिणाम स्वरूप उनका जाति प्रमाण पत्र नही बन पा रहा है। और वे आरक्षण जैसी मूल भूत सुविधा से वंचित है। वे जातियां जिनका जाति प्रमाण पत्र नही बन रहा है उनमें से डोमार, डोम, महार, भंगी, मेहतर, वाल्मीकि, खटिक, देवार आदि प्रमुख है।
प्रतिनीधि मंण्डल द्वारा यह मांग कि गई कि यहां अधिकता में निवास करने वाली डोमार जातियों का जाति प्रमाण पत्र कई नामों से जारी किया जाता है जैसे कहीं हरिजन, कहीं मेंहतर और कहीं डोमार या डुमार एवं भंगी आदि। इसलिए सतनामी जाति की तरह एक ही नाम डोमार से जाति प्रमाण पत्र जारी किये जाने का आदेश प्रसारित किया जाय।
इस प्रकार प्रतिनीधि मंडल ने ऐशोसियेशन हेतु कार्यालाय भवन की मांग सहीत अन्य समस्याओं से मुख्यमंत्री महोदय को एक ज्ञापन जनदर्शन के अंतर्गत सौपा। जनदर्शन वेबसाईट www.cg.nic.in/jandarshan में टोकन क्रमांक 500711011613 एवं 500711011669 पर ज्ञापन पर शासन द्वारा कि जाने वाली कार्यवाही आन लाईन देखी जा सकती है। प्रतिनीधि मंडल में ललित कुंडे, मोतिलाल धर्मकार, कैलाश खरे, हरिश कुंडे एवं संजीव आदि थे।

कन्वीनर


दलित मुव्हमेंट ऐशोसियेशन
रायपुर