डॉ के बी बन्सोडे जी को पिछले दिनो वाटएप के माध्यम से मैने उन्हे
पानी के संबंध में यह वीडियो भेजा था और उनसे निवेदन किया था की वे कृपया इसकी सत्यता
से परिचित कराये। उन्होने इस पर विस्तार से जानकारी दी जिसे में यहां हू ब हू
पेश कर रहा हूँ यह एक बेहतरीन जानकारी है। बताना चाहूंगा की डॉं बन्सोडे वरिष्ठ
चिकित्सक है एवं अंधविश्वास विरोधी गतिविधियों में काफी दखल रखते है। - संजीव
खुदशाह
प्रिय मित्र संजीव खुदशाह ,
आपने यह जो वीडियो पोस्ट किया है , वह पिछले कई दिनों
से लगभग सभी ग्रुप में चला है ।
यह कहा गया कि आर ओ (RO) पानी पिने वाले सावधान हो
जाये ......
इत्यादि ।
इसके पहले भी इसी तरह की एक पोस्ट RO के पानी को लेकर
आयी थी , जिसके बारे में मैंने लिखकर शरद जी को पोस्ट किया
था ।
किसी भी वस्तु को या लेख को संभाल कर रखने की आदत
नहीं होने के कारण इसे फिर से लिख रहा हूँ ।
· डॉ
के बी बन्सोडे
इस वीडियो की अंतिम बात से तो मैं खुद भी सहमत हूँ कि हमें बोतलबंद
पानी लेकर चलने या आर ओ के ही पानी को पीने की आदत से बाज आना चाहिये ।
मेरा स्वयं का भी यही विचार है कि किसी भी कुयें , या झील या निरन्तर बहने वाली नदी का पानी आसानी से पीने लायक होता है ।
थोड़ी सी सावधानी बहुँत है कि उस पानी को रुमाल या किसी कपड़े से छानकर ही पियें ।
इससे ज्यादा सावधानी की जरूरत है , तो पानी को उबालकर और साथ
ही साधारण कपडे से छानकर पानी को पूर्णतः पिने लायक बनाया जा सकता है ।
अब आगे जो महाशय कोलकाता में किसी कोन्फेरेंस का और डब्लू एच् ओ का
हवाला दे रहे थे , उसकी जानकारी अपर्याप्त है , इसलिये
उस बात पर मुझे उसकी सत्यता पर संदेह है ।
इस वीडियो की अंतिम बात से मेरी पूर्ण सहमति है , कि बोतल के पानी या आर ओ का ही केवल पानी नहीं पीना चाहिये । बल्कि सभी
जगह का पानी पिने योग्य होता है ।
कोलकाता के किसी सम्मेलन की या डब्लू एच् ओ की गाईड लाईन की भी बात
से मेरी असहमति है ।
मेरी जानकारी में WHO ने पीने के पानी की कोई भी
गाईडलाईन जारी नहीं किया है । विशेष तौर पर RO या बोतलबन्द
पानी पिने के इस्तेमाल पर कोई भी गाईडलाईन नहीं है ।
जैसा कि मैंने ऊपर लिखा था कि कोई भी पानी चाहे वह किसी भी कुएँ का
हो , झील का हो या नदी का बहता पानी ,आमतौर पर वह पिने योग्य ही होता है । हम चाहें तो खेत या किसी डबरे का
रुका हुवा पानी भी पी सकते हैं । लेकिन यदि इसे किसी कपड़े से छानकर पिया जाये तो
ज्यादा सही है ।
पानी में जब अनेक प्रकार की गंदगी मिली होती है , तो वह हमें मटमैला दिखाई देता है । जैसे कि मिट्टी या कीचड़ , फंगस या काई इत्यादि । जिसे हमें पिने से बचना ही चाहिये । लेकिन यदि हम
किसी विशेष परिस्थिति में फंसे हुवे हैं , तो इसी पानी को
अच्छी तरह कपडे से छानकर पिया जा सकता है ।
इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि जो पानी हमारी नजरों में साफ और स्वच्छ
दिखाई दे रहा है , वह पूर्णतः हानि रहित है । इसलिये पानी की
अशुद्धियों के बारे में भी हमें जान लेना चाहिये ।
पानी में आमतौर पर तीन प्रकार की अशुद्धि होती है ।
(1) Microbial या जीवाणुयुक्त पानी :-
यदि पानी में अनेक प्रकार के जीवाणु और कीटाणु , परजीवी
जीव , एल्गी तथा फंगस होंगे तथा इसे हम पीते हैं , तो बीमार होने की संभावना होती है ।
जैसे कि साफ दिखाई देने वाले पानी में भी अनेक
प्रकार के कीटाणु जैसे कि अमीबा ,जियारडीआ, रोटावायरस के कारण अनेक बीमारियाँ जैसे डायरिया , कोलेरा
, टाइफाईड हो सकते हैं ।विषाणुओं के कारण पीलिया या
वाईरल हिपेटाइटिस हो सकता है । कई प्रकार के परजीवी जैसे कि राऊँड वर्म या
हुकवर्म इत्यादि भी होते हैं । जिसके कारण हम बीमार हो जाते हैं तथा इससे मृत्यु भी
हो सकती है । एल्गी तथा फंगस भी हमें बीमार बनाते है ।
(2) रासायनिक अशुद्धियाँ :-
जियोलॉजिकल या भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार अलग अलग जगह के पानी में अनेक
प्रकार की रासायनिक अशुद्धियाँ होती है , जो शरीर के लिये
नुकसानदेय होती हैं । इसमें प्रमुख रूप से आर्सेनिक , फ्लोराईड
, क्लोरीन , सल्फर या मर्करी भी हो
सकता है ।
लेकिन कभी कहीं कहीं किसी तत्व या खनिज की अधिकता या कमी भी
होती है ।
सामान्यतः पानी में घुलनशील तत्व या जिसे हम Minerals
कहते हैं , वे हैं :- केल्सियम ,
मैग्नेशियम , सोडियम , पोटेशियम
, हैड्रोकार्बोनेट , नाइट्रेट ,
सुल्फाइट इत्यादि ।
जो कि आमतौर पर हमारे शरीर के लिये फायदेमंद ही है ।
(3) आणविक अशुद्धियाँ :-
इसमें पानी में घुलनशील आणविक तत्व जैसे कैडमियम , तथा
यूरेनियम और थोरियम इत्यादि । यह हमारे शरीर के लिये अत्यंत हानिकारक होते
है ।
हम यह भी जानते हैं कि पानी का मूलतत्व एच् टू ओ है , (H 2 O
) है । सामान्यतः इसका pH 7 होता है । यदि यह
पी एच् कम या ज्यादा होगा तो पानी अम्लीय (acidic )या
क्षारीय ( alkaline) कहलाता है । अधिक छार या अम्ल
हमारे शरीर के लिये नुकसानदेय भी होता है । लेकिन आम तौर पर पानी का ph 6.5
से लेकर 8.5 तक भी हो तो पीने में अधिक समस्या
नहीं है ।
यदि पानी का ph 7 से नीचे है तो उसे अम्लीय और ph 7 से अधिक हो तो क्षारीय कहलाता है ।
पानी में घुलनशील तत्वों को साफ करके पीने युक्त बनाने की प्राचीन
पद्धति केवल साफ कपड़े से पानी को छानकर पीना ही पर्याप्त समझा जाता था । धीरे धीरे
शहरीकरण और आधुनिक विज्ञान की समझ विकसित हुई । जिसके कारण पानी की शुद्धिकरण के
प्लांट लगाने की प्रक्रिया हुई ।
इस प्रक्रिया में नदी के पानी को पूरे वर्ष भर तक निरन्तर आपूर्ति
किये जाने के योग्य बनाने के लिये नदियों पर छोटे छोटे बांध बनाकर पानी का संग्रहण
किया जाता है ।
फिर आवश्यकतानुसार उसे सीमेंट के बनाये बड़े बड़े टंकियों में इकठ्ठा
किया जाता है ।
जिसे जल संशोधित संयंत्र के नाम से आप जानते हैं , तथा इसे नदियों के किनारे ही अधिकतर निर्मित किया जाता है ।
इसमें पानी को कई बार बड़े बड़े टंकियों से गुजारकर उसे नीथारा जाता है
। ठोस अशुद्धियों को अलग करके उसमे फिटकरी डाल कर साफ किया जाता है । इसके बाद उसे
रेत के कन्टेनर से होकर चारकोल के कन्टेनर से पानी को गुजारा जाता है ।
इस तरह पानी को फिल्टर प्लांट से शहरों के बीच बनाई गई पानी की बड़ी
बड़ी टंकियों में भेज दिया जाता है । फिर उसे पाइपलाईन के द्वारा घरों तक पहुँचाया
जाता है ।
शहरों में हमारे घरों के नल तक जो पानी नगरनिगम
द्वारा सप्लाई किया जाता है , वह पीनेयुक्त होता है । यह
पानी किसी वजह से प्रदूषित भी हो सकता है ।
जैसे कि शहरों में जो पाइपलाईन बिछाई होती है , वह कई जगहों से टूटी फूटी होती है । जिसके कारण गन्दा पानी घरों में आ
जाता है । पानी के प्रदूषण का दूसरा बड़ा कारण पानी की बड़ी बड़ी टंकियों का निरन्तर
रखरखाव और साफसफाई का ना होना । तीसरा बड़ा कारण पाइपलाईन में सीवरेज के गंदे
पानी का मिल जाना ।
इसके बचाव के लिये कई बार लोग अपने घरों में बोर भी करवाते हैं , जिसमे ज़मीन के नीचे का पानी उन्हें मिलता है ।
*"टीडीएस"*
अब ये टीडीएस क्या है ?
पानी में घुले हुवे तत्व ही टीडीएस कहलाते हैं । मोटा मोटी पानी का
टीडीएस 60 मिलीग्राम प्रतिलीटर से लेकर 6000 मिलीग्राम/लीटर हो सकता है ।
हम यह कह सकते हैं कि 60 mg/L से लेकर 1200mg/L
टीडीएस का पानी भी पिया जा सकता है । जो हानिकारक नहीं होता है ।
*"इसी बात को ध्यान देकर पूंजीवाद ने RO
Water का व्यापार शुरू किया है । "*
RO के पहले सिरेमिक पोर्सेलिन के बने हुवे कैंडल्स भी
मिलते थे , जो कि पानी की अशुद्धियों को कम करते थे ।
RO यानि रिवर्स ओसमोसिस ।
इसमें में भी जो कैंडल्स होते हैं , उनमे भी
मेम्ब्रेन पोरस फिल्टर तथा चारकोल फिल्टर ही होता है । साईज के अनुसार
कैंडल्स की संख्या कम या ज्यादा होती है ।
इससे पानी की अशुद्धि और भी कम हो जाती है ।
इसलिये इसका इस्तेमाल लोग करते हैं ।
*" इसका वैसे कोई नुकसान नहीं है ।"*
जैसाकि कई बार कई पोस्ट आती है कि विटामिन बी12 की कमी हो जाती है या शरीर की हड्डियों से केल्सियम कम हो जाता है ......
इत्यादि भ्रामक ही है ।
*अब हम बात करते हैं वीडियो में बताई पानी की जानकारी जो
निम्न है :-*
(1) WHO ने RO के पानी नहीं पीने
का दिशा निर्देश दिया है ।
इसकी सत्यता नहीं है ।
(2) पानी के टीडीएस की जानकारी जो दी है वह कुछ हद तक
सही है ।
(3) यह भी कहा कि प्लास्टिक की बोतल में बंद पानी में
प्लास्टिक घुलता है ।
*यह गलत जानकारी है ।* *प्लास्टिक जो सिंथेटिक
पोलीमेर्स होते हैं वे पानी में घुलनशील नहीं होते हैं ,वे
एसीटोन में ही घुलनशील होते हैं ।* *इसलिये हमारे पर्यावरण मित्र और सरकार
प्लास्टिक की पन्नियों के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध लगाती है ।*
(4) पानी के टीडीएस के कम या ज्यादा होने में
हैपोटोनिक और हैपेरटोनिक सोलुशन की बात की है , वह पूर्णतः
गलत है ।
(5) पानी में टीडीएस की गड़बड़ी से homeostasis की गड़बड़ी शरीर में होने की बात का कोई ठोस आधार या शोध या अध्ययन नहीं है
।
(6) घड़े में ही पिने का पानी रखने से तथा उसे धुप और
हवादार स्थान में रखने से पानी का ऑक्सीजिनेशन और सेनिटाइजेशन होता है , यह कथन बिलकुल अवैज्ञानिक है ।
घड़े के छिद्रयुक्त होने से केवल वह पानी को ठंडा ही करता है ।
(7) पानी की कितनी मात्रा किसी भी व्यक्ति को प्रतिदिन
पीना चाहिये , इसके बारे में एलोपैथिक चिकित्सकों की सलाह
निम्नलिखित है :- एक स्वस्थ वयस्क को प्रतिदिन 3 लीटर पानी
पीना चाहिये । किसी मरीज को जो कि किडनी की बीमारी तथा विभिन्न जटिलताओं से ग्रसित
हो उसे उसकी जरूरत के अनुसार कितनी मात्रा में पानी पीना है यह सलाह दी जाती है ।
वीडियो में जो कहा है उसमें अतिश्योक्ति है कि पानी कम पीने से शरीर
पानी को रिटेन करता है , तथा बीमार बनाता है ।
जरूरत से कम पानी पिने से अनेक समस्या होती ही है ।
(8) खाना खाने या भोजन के साथ या उस दौरान पानी नहीं
पीना चाहिये यह कहना भी गलत है । अत्यधिक मसालेयुक्त भोजन के दौरान पानी आवश्यक ही
है । इसके आलावा अधिक पानी पिने से शरीर को अनेक तरह से निरोगी रखा जा सकता
है । भोजन के साथ पानी नहीं पीना या भोजन के एक घंटे बाद पानी पीना स्वास्थ्य के
लिये लाभदायक होता है , यह मूलतः आयुर्वेदिक अवधारणा है ,
जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है ।
अंतिम बात जो वीडियो में कही है , उससे सहमत हूँ कि
साझा हवा हम लेते हैं, तो साझा पानी पीना भी गलत नहीं है ।
घाट घाट का पानी कोई भी आसानी से पी सकता है ।
बशर्ते वायु तथा पानी (जल) प्रदूषित ना हो ।