राज्य के विश्वविद्यालयों में भर्ती एवं प्रवेश संबंधी दस्तावेजों की होगी जांच
सीबीआई ने उच्चशिक्षा विभाग को लिखा लेटर, पत्रकारिता विवि भी सवालों के घेरे में
रायपुर। राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में बीते सालों में हुई भर्ती प्रक्रिया और प्रवेश प्रक्रिया में प्रस्तुत किए गए शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच करने के निर्देश उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किए हैं।इस आशय का पत्र विभाग ने सीबीआई द्वारा भेजे गए पत्र का संज्ञान लेेकर सभी विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को जारी कर दिया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने उच्च शिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन को राज्य के सभी विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में हुई शासकीय नियुक्ति की प्रक्रिया में नौकरी पाए लोगों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच करने का पत्र भेजा है। सीबीआई के केस नं आरसी1202018ए0006एवं आसी0062018ए0017 की जांच में मध्यप्रदेश के ग्वालियर में फर्जी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड बोर्ड ऑफ सेकें डरी एजुकेशन मध्यभारत ग्वालियर के नाम से संचालित होना पाया गया.
इस फर्जी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा बड़ी संख्या में 10 वीं एवमं 12वीं के प्रमाणपत्र जारी किए गए जिनके आधार पर लोगोंं के सरकारी नियुक्तियां पाने की बात का जिक्र सीबीआई ने अपने पत्र में किया है। इस संदर्भ में राज्य के विश्वविद्यालयों को भी अपने यहां हुई शैक्षणिक व अशैक्षणिक नियुक्तियों एवमं प्रवेश प्रक्रिया में पेश किए गए दस्तावेजों की जांच करने के निर्देश सीबीआई ने उच्चशिक्षा विभाग को दिए हैं ताकि ऐसे लोगों पर तत्काल कार्रवाई की जा सके.
उच्च शिक्षा विभाग का सभी विश्वविद्यालयों को आदेश
इस पत्र का संज्ञान लेकर उच्च शिक्षा विभाग की ओर से राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को अपने यहां हुई भर्ती एवम प्रवेश प्रक्रिया में लगाए गए शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच के लिए निर्देशित कर दिया गया है। इस आशय का पत्र सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, कुलसचिवों व महाविद्यालयों के प्राचार्योँ को जारी कर दिया गया है। गौरतलब है कि इस जांच से कई अन्य बड़े मामले भी सामने आ सकते हैं क्योंकि लंबे समय से प्रदेश के कई विश्वविद्यालयों में भी फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल की बात सामने आ रही थी.
फर्जी नियुक्तियों के मामले विचाराधीन- केटीयू स्थापना से लेकर अब तक विवादों में
प्रदेश के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवम जनसंचार विश्वविद्यालय की तो पूरी नियुक्तियों की प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है। फर्जी अनुभव प्रमाणपत्रों के आधार पर तो कहीं नौकरी के लिए अयोग्य उम्मीदवारों को योग्य उम्मीदवारों पर तरजीह दी गई।
फर्जीवाड़ा कर पाया रीडर का पद, धारा 420 का मामला
विश्वविद्यालय में कार्यरत एक वरिष्ठ प्राध्यापक जो रीडर के पद पर कार्यरत हैं, पर धारा 420 जैसे मामले दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। इस संबंध में लोकायुक्त की रिपोर्ट में भी नियुक्ति प्रक्रिया को गलत बताते हुए इस पर कार्रवाई करने की बात कही गई थी लेकिन तत्कालीन सरकार द्वारा इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन पर फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र के आधार पर नियुक्ति पाने व एक ही समय में कार्यानुभव और पत्रकारिता की पढ़ाई करने क े दस्तावेज प्रस्तुत करने के आरोप हैं। ऐसे में अब वर्तमान सरकार से इस पर संज्ञान लेकर कड़ी कारवाई करने की आशा की जा रही है लेकिन अभी तक कोई भी ठोस कार्रवाई फर्जीवाड़े की शिकायतों पर नहीं की गई है।
विवि में दस्तावेजों की जांच भी सवालों के घेरे में
अन्य राज्यों में प्रवेश या सरकारी भर्ती के दौरान प्रस्तुत किए गए शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच संबंधित संस्थानों से सत्यापन कराए जाने का प्रावधान है लेकिन राज्य के विश्वविद्यालयों में इसका कितना पालन किया जाता है ये संदेह के घेरे में है। सूत्रों के मुताबिक पत्रकारिता विश्वविद्यालय में बिना माइग्रेशन जमा कराए ही डिग्री निर्गत कर दिए जाने की बात भी सामने आई है। लेकिन इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।